देहरादून: प्रदेश के बहुचर्चित विधायकों की खरीद-फरोख्त स्टिंग मामले में राजनीतिक रूप से एक नया मोड़ आ सकता है। हालांकि कानूनी रूप से यह मामला प्रभावित होगा या नहीं, यह आने वाले समय में देखने को मिलेगा। दरअसल, मामले में हरीश रावत के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले हरक सिंह रावत द्वारा याचिका को वापस लेने की चर्चा जोरों पर है।
हैलो उत्तराखंड न्यूज़ से बातचीत में मंत्री हरक सिंह रावत ने याचिका के वापस लेने के सवाल पर कहा कि, उन्होंने इस संबंध में अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है, हालाँकि उन्होंने इस पर साफ़ इनकार भी नहीं किया।
वहीँ जब हैलो उत्तराखंड न्यूज़ ने हरीश रावत पर याचिका वापस लेने की संभावना व इसके प्रभाव पर प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्होंने मामला कोर्ट में होने का हवाला देकर मामले में किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
बता दें कि, सीबीआई ने 23 अक्तूबर, 2019 को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के साथ ही हरक सिंह रावत और स्टिंग करने वाले एक चैनल के तत्कालीन सीईओ उमेश शर्मा के खिलाफ मुकदमा दायर किया। पूर्व में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने ही हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर स्टिंग की सीबीआई से जांच कराने का आग्रह किया था।
ऐसे में हरक सिंह रावत के याचिका वापस लेने से मामले पर कितना प्रभाव पड़ सकता है ये तो कहना मुश्किल है लेकिन, फ़िलहाल इस तरह की अटकलों से राजनीतिक चर्चाओं का बाजार गर्म है।
यह है मामला
2016 में एक निजी चैनल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत का एक स्टिंग दिखाया था। इस स्टिंग में रावत सरकार बचाने के लिए विधायकों से सौदेबाजी करते नजर आ रहे थे। इस दौरान कांग्रेस के कुछ विधायक भाजपा में शामिल हो गए और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग गया था। स्टिंग मामले की राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्यपाल द्वारा सीबीआई जांच की संस्तुति केंद्र सरकार को भेजी थी। पहले हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश से राष्ट्रपति शासन लगाने का आदेश निरस्त हुआ। बर्खास्त हरीश रावत सरकार बहाल हुई तो मुख्यमंत्री की गैरमौजूदगी में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री इंदिरा हृदयेश की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में स्टिंग मामले की जाँच सीबीआई से हटाकर एसआइटी से कराने का फैसला लिया गया। इस फैसले को हरक सिंह रावत ने चुनौती दी थी।