मिली भगत से बने केदारनाथ हेली सर्विस टेंडर में भी चूक! संशोधन होना तय!

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देहरादून: सोमवार को उत्तराखंड सरकार के नागरिक उड्डयन विभाग के द्धारा केदार घाटी में यात्रा सीजन के दौरान उडान भरने वाले हेली कम्पनियों के लिए टेंडर जारी किया गया। जिसमें कई चूक नागरिक उड्डयन विभाग के द्धारा की गई हैै। जिससे टेंडर से घोटाले की बू आती हुई दिखाई दे रही है,क्योंकि जिस मिली-भगत से इस टेंडर को जारी किया गया है, उससे तो यही लगता है कि यह हडबडाहट में जारी किया गया है और यही प्रमुख वजह है इसमें कई बडी चूक की गई। सूत्रों की माने तो टेंडर पाने वाली कम्पनियों ने अपने मन माफिक टेंडर तो बनवा दिया, लेकिन उसी टेंडर के प्रमुख बिंदुओं पर वह खुद ही उलझन में आ गए। सूत्र तो यहां तक भी बताते है कि टेंडर हासिल करने के लिए पिछले डेढ महिने से टेंडर को हथियाने वाली कम्पनियां ने सचिवालय का चक्कर लगाते रहे, और आखिरकार टेंडर बनवाने में कामयाब तो हो गए, लेकिन उसमें किसी हद तक चूक गए। सूत्रों की माने तो ऐसे में ये कंपनियां अब टेंडर में संशोधन कराने की तैयारी में हैं, जिससे स्वामित्व तथा पूरे सीजन में हेलीकॉप्टरों को केदारघाटी में ही रखने वाली शर्त को हटाया जा सके।

टेंडर के बिंदुओं में ये हैं चूक
टेंडर में पहली और सबसे बडी जो चूक हुई है, वह ये है कि वे ही कम्पनियां टेंडर के लिए आवेदन कर पाएंगी जिसके 2 हैलीकॉप्टरों पर अपना स्वामित्व और 1 लीज पर हो, लेकिन हैरत करने वाली बात ये है कि जिन हैली कम्पनियों की मिली-भगत से टेंडर बनाया गया है, उनमें से किसी भी कम्पनी के पास 2 हैलीकॉप्टरों का स्वामित्व नहीं है। साथ ही जो इका-दुका कम्पनियां 2 हैलीकॉप्टरों पर स्वामित्व रखती है, वह टेंडर के हिसाब से आवेदन तो कर सकती है लेकिन उनके लिए टेंडर में शर्त ये रखी गई है कि वह पूरे सीजन में 3 हैलीकॉप्टर केदारघाटी में रखेंगे, जो उनके लिए संभव नहीं है क्योंकि वही हैलीकॉप्टर अमरनाथ यात्रा के दौरान अमरनाथ में भी उडान भरते हैं।

10 साल के नए मानक पर भी सवाल
नागरिक उड्डयन विभाग के द्धारा जो टेंडर जारी किया गया, उसमें एक नई शर्त ये भी रखी गई है कि केदारघाटी में उडान भरने के लिए हैलीकॉप्टर 10 साल से पुराना नहीं होना चाहिए। टेंडर में 10 साल की शर्त किसी को पचा नहीं पा रही है। क्योंकि डीजीसीए यानी (डारेक्टर जनरल ऑफ सिविलऐविशन) जो कि हैलीकॉप्टर को उडान भरने के लिए परमिशन देते हैं, वह भी 10 साल की शर्त को नहीं रखता है। इसकी प्रमुख वजह ये मानी जा रही है कि जिन कम्पनियों ने मिल-जुल कर ये टेंडर बनाया है वह अन्य कम्पनियों को टेंडर की दौड से सीधे बाहर कर देना चाहती है। क्योंकि जो हैलीकॉप्टर केदारघाटी में अब तक उडान भरते हैं, वह 11 से 20 साल पुराने हैं। लेकिन खास बात ये है कि जिन हैलीकॉप्टरों को इससे बाहर रखने की कोशिश हो रही है, वह आपदा आने के बाद केदार घाटी में बेहतर सेवाएं दे चुके हैं।

 

टिकटों की बुकिंग में भी झोल

यही नहीं इसके अलावा टेंडर के अनुसार टिकटों की बुकिंग में भी साफ़-साफ़ धांधली किये जाने की बू आ रही है। टेंडर के अनुसार टिकटों की बुकिंग का निर्धारण युकाडा करेगी। ऐसे में युकाडा के चहेतों को ही यह लाभ मिलने जा रहा है। यह टिकटिंग लगभग 60 करोड़ से भी अधिक धनराशि की होगी, जिसका लाभ किसी व्यक्ति विशेष को पहुँचाने के लिए इसका कोई भी टेंडर जारी नहीं किया गया है। यह बात इससे भी और पुख्ता होती है कि युकाडा के पास इतने कर्मचारी नहीं हैं कि जिससे वो खुद ही इस कार्य को कर सके। इसके साथ ही गढ़वाल विकास निगम के पास भी हैली टिकेटिंग का कोई अनुभव नहीं है। जो कि वह इस इतने बड़े पैमाने पर टिकेटिंग कर सके। अंततः इससे यही समझा जा सकता है कि यह कार्य किसी निजी कंपनी को बिना टेंडर के ही युकाडा की मर्जी से सौंपा जायेगा।

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