श्रीलंका/नई दिल्ली : भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका की राजनीति में भूचाल सा आ गया है। पड़ोसी देश में एक झटके में सत्ता बदल गई। एक प्रधानमंत्री को पद छीनकर दूसरे को प्रधानमंत्री बना दिया गया। श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त कर पूर्व राष्ट्रपति और विपक्ष के नेता महिंदा राजपक्षे को सत्ता सौंप दी गई हैं। श्रीलंका में आए राजनीतिक भूचाल ने भारत की चिंता भी बढ़ा दी है। इतना ही नहीं इससे पूरे दक्षिण एशिया में लोकतांत्रिक मुल्यों के लिए भी खतरा पैदा कर दिया है। रानिल विक्रमसिंघे को शुरू से ही भारत का करीबी माना जाता रहा है, लेकिन कम्युनिस्ट नेशन चीनी समर्थक राजपक्षे को अचानक सत्ता सौंपकर सिरीसेना ने भारत से लेकर अमेरिका तक को ना केवल हैरान कर दिया, बल्कि चिंताएं भी बढ़ा दी है। श्रीलंका के इस सियासी तख्तापलट पर अमेरिका ने चेतावनी जारी की है।
श्रीलंका में राजनीतिक उठापठक को भारत फिलहाल उनकी एक आंतरिक समस्या के रूप में देख रहा है, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम पर नजरें बनाई हुई हैं। हालांकि, भारत ने फिलहाल श्रीलंका की राजनीति में अचानक आए बदलाव पर कोई बयान जारी नहीं किया है। हैरान करने वाली बात है कि पिछले सप्ताह विक्रमसिंघे ने नई दिल्ली आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और उसके तुरंत बाद उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटा दिया गया।
श्रीलंका में आए राजनीति तूफान के बाद अमेरिका और ब्रिटेन ने कड़ी आपत्ति व्यक्त की है। अमेरिका ने श्रीलंका की सभी राजनीतिक पार्टियों को संविधान का पालन करने और हिंसा से दूर रहने के लिए आग्रह किया है। अमेरिका ने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि श्रीलंका सरकार ह्यूमन राइट्स, सुधार, जवाबदेही, न्याय और सुलह के लिए अपनी जेनेवा प्रतिबद्धताओं को कायम रखेगा।श् वहीं, ब्रिटिश मिनिस्टर मार्क फिल्ड ने भी श्रीलंका की सभी राजनीतिक पार्टियों को संविधान और कानून का पालन करने के लिए कहा है।
भले ही श्रीलंका के राष्ट्रपति ने विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया है, लेकिन वे सत्ता छोड़ने के लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं। सियासी उठापठक के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान विक्रमसिंघे ने कहा कि वह प्रधानमंत्री पद पर बने रहेंगे। उन्होंने कहा, मेरे पास बहुमत है और मैं प्रधानमंत्री पद पर बना रहुंगा और मैं एक पीएम के रूप में काम करता रहुंगा। वहीं, विक्रमसिंघे की सरकार में मीडिया और फाइनेंस मिनिस्टर मांगाला समरवीरा ने ट्वीट कर राजपक्षे को पीएम के रूप में सत्ता सौंपना 2015 संशोधन के मुताबिक संविधान का उल्लंघन बताया है। समरवीरा ने इसे अलोकतांत्रिक तख्तापलट कहा है।