दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों ने इतिहास में पहली बार देश के सामने आकर सर्वोच्च न्यायालय की खामियों की को लेकर लेकर प्रेस वार्ता की। न्यायपालिका में ऐसा पहली बार हुआ है, जब सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जजों ने मीडिया को संबोधित किया। चीफ जस्टिस के बाद दूसरे सबसे सीनियर जज जस्टिस चेलमेश्वर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कभी-कभी होता है कि देश के सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था भी बदलती है। सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक तरीके से काम नहीं कर रहा है, अगर ऐसा चलता रहा तो लोकतांत्रिक परिस्थिति ठीक नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि हमने इस मुद्दे पर चीफ जस्टिस से बात की, लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी।
जस्टिस जे. चेलामेश्वर ने कहा कि SC में बहुत कुछ ऐसा हुआ है, जो नहीं होना चाहिए था। हमें लगा, हमारी संस्था और देश के प्रति जवाबदेही है और हमने CJI को सुधारात्मक कदम उठाने के लिए मनाने की कोशिश की, और उन्हें खत भी लिखा, लेकिन हमारे प्रयास नाकाम रहे।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सरकार अभी इस मामले में चीफ जस्टिस के रुख का इंतजार कर रही है। उसके बाद ही सरकार की ओर से कोई बयान आ सकता है, अभी इस मामले पर दूरी बनाई जा रही है।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि ये बहुत ही गंभीर मामला है। उन्होंने कहा कि जजों ने बहुत बलिदान दिए हैं और उनकी नियत पर सवाल नहीं उठाए जा सकत। साथ ही उन्होंनेे कहा कि चारों जज बहुत ही ईमानदार है और वो याचिकाकर्ता की बाते जिस तरह से सुनते हैं और फैसला लिखते हैं वह काबिले तारीफ है।
वहीँ वरिष्ठ वकील उज्जवल निकम ने इस पूरे मामले पर कहा कि ये न्यायपालिका के लिए बुरा दिन है। जजों की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद हर कोई न्यायपालिका के फैसले को शक की निगाहों से देखेगा। उन्होंने कहा कि अब से हर फैसले पर सवाल उठने शुरू हो जाएंगे। इन जज़ों में जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ़ शामिल हैं।
#WATCH: Supreme Court Judge J.Chelameswar says, 'All 4 of us are convinced that unless this institution (Supreme Court) is preserved & it maintains its equanimity, democracy will survive in this country, or any country. pic.twitter.com/FBYSeLClH6
— ANI (@ANI) January 12, 2018