नई दिल्लीः कांग्रेस फिलहाल टूटने से बच गई। युवा और अनुभवी नेताओं के बीच बढ़ रही खाईं पाटने के लिए आखिर सोनिया गांधी को ‘स्वघोषित सन्यास’ के बावजूद कांग्रेस की कमान संभालनी पड़ी। फिलहाल यह तय नहीं है कि अंतरिम प्रबंध कितने समय के लिए है। शनिवार को दो दौर में हुई मैराथन बैठकों के बाद 1998 से 2017 तक पार्टी की कमान संभालने वालीं सोनिया को अंतरिम अध्यक्ष चुना गया। पार्टी नए मुखिया के चुनाव तक वही पार्टी की कमान संभालेंगी।सूत्रों के मुताबिक दो से छह महीने के अंदर नए अध्यक्ष का चुनाव हो सकता है। पार्टी के अनुभवी नेता इस फैसले में अपनी जीत देख रहे हैं।
बता दें कि सोनिया और राहुल गांधी पहले दौर की बैठक बीच में ही छोड़कर चले गए थे। उनका कहना था कि वे अध्यक्ष की चयन प्रक्रिया में शामिल नहीं होना चाहते। ताकि किसी पर राय पर उनका प्रभाव न पड़े। दिनभर चली बैठक के बाद देर रात राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने बताया कि कार्यसमिति के पांच समूहों की रिपोर्ट और नेताओं से रायशुमारी में सोनिया का नाम ही अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर सामने आया। पहले तो उन्होंने इनकार कर दिया था, मगर वरिष्ठï नेताओं के बेहद आग्रह पर उन्होंने पार्टी की कमान संभालने के लिए हामी भर दी। सोनिया के सक्रिय होने से युवा नेताओं की मनमानी पर रोक लगेगी। सोनिया 1998 से 19 वर्षों तक अध्यक्ष रही हैं। उनके नेतृत्व में ही कांग्रेस ने को-दो बार केंद्र में और कई राज्यों में सरकार बनाई, लेकिन उनका यह भी दावा है कि यह मात्र अंतरिम प्रबंध है, अंतिम नहीं। इससे पार्टी का विभाजन कुछ समय के लिए थम गया हो, लेकिन मतभेद खत्म नहीं हुए हैं।
सोनिया का नाम इसलिए तय हुआ क्योंकि क्योंकि कार्यसमिति में अनुभवी नेताओं का पलड़ा भारी है। वे मुकुल वासनिक को अध्यक्ष चुनना चाहते थे। इसके बाद सभी नेताओं को पांच कार्यसमूहों में बांटा गया और उनसे राय देने को कहा गया।
हालांकि इस प्रक्रिया में सभी वरिष्ठ नेता अलग-अलग समूहों में बंटकर रह गए। हर समूह में युवाओं की उग्रता के आगे वे बेबस थे। अधिकतर नेताओं ने राहुल से इस्तीफा वापस लेने और दोबारा अध्यक्ष बनने की मांग की, लेकिन राहुल इसके लिए तैयार नहीं थे। काफी मशक्कत के बाद सहमति सोनिया के नाम पर हुई। जिससे देश भर के साथ ही प्रदेश भर में भी उत्साह देखने को मिल रहा है। कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में तमाम कांग्रेसियों ने सोनिया गांधी के अंतरिम अध्यक्ष बनाए जाने पर खुशी जताई और मिठाई खिलाकर एक दूसरे का मुंह मीठा किया। इस दौरान कांग्रेस ने कहा कि गांधी परिवार को ही यह बागडोर संभालने की उम्मीद थी। जिस पर उन्होंने सोनिया गांधी का धन्यवाद किया। वहीं कहा कि सोनिया गांधी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने से पार्टी एकजुट रहेगी।