देहरादून: उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले से प्रदेश सरकार ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। राज्य सरकार ने बुधवार देर शाम सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) दायर की है। भाजपा के मुख्य प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने इसकी पुष्टि की है।
भाजपा ने इस मामले को लेकर आरोपों को पूरे सिरे से नाकारा है। प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप बेबुनियाद हैं। बुधवार को भाजपा मंडल प्रशिक्षण वर्ग के उद्घाटन में हरिद्वार पहुंचे प्रदेश अध्यक्ष भगत ने कहा कि त्रिवेंद्र रावत ईमानदार हैं और उनके नेतृत्व में सरकार पूरी पारदर्शिता से कार्य कर रही है। उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री पर कोई भी व्यक्ति भ्रष्टाचार के आरोपों को सिद्ध नहीं कर सकता है।
हाईकोर्ट ने मंगलवार को पत्रकार उमेश जे कुमार के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमों को निरस्त करने का आदेश दिया था। साथ ही उमेश की याचिका में लगाए आरोपों के आधार पर सीबीआई को एफआईआर दर्ज करने का आदेश भी दिया था। कोर्ट ने कहा, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ लगे आरोपों को देखते हुए यह सही होगा कि सच सामने आए। यह राज्य हित में होगा कि संदेहों का निवारण हो।
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मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार को दिया था। इस फैसले के लेकर कांग्रेस ने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की। कांग्रेस आज इस मुद्दे को लेकर खुलकर मैदान में उतर आई। कांग्रेस भवन में प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, पूर्व सीएम हरीश रावत, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस कर प्रदेश सरकार पर हमला बोला। कांग्रेस का कहना है कि वे इस मामले को लेकर तब तक आंदोलन करेगी, जब तक सीएम अपना पद नहीं छोड़ देते या उनसे इस्तीफा नहीं लिया जाता।