नई दिल्ली: चार धाम समेत 51 मंदिरों को श्राइन बोर्ड के अधीन करने संबंधी फैसले का विरोध लगातार जारी है। सरकार के इस फैसले को लेकर तीर्थ पुरोहितों ने जिला मुख्यालय से लेकर विधानसभा तक जमकर प्रदर्शन किया। पुरोहितों ने सरकार पर आरोप लगाया कि वो श्राइन बोर्ड की आड़ में धामों और मंदिरों के अधिग्रहण की साजिश रच रहे हैं। और विपक्षी कांग्रेस भी इस मामले को लेकर सरकार को लगातार घेरती आ रही है। हालांकि प्रदेश सरकार ये कहती रही कि तीर्थ पुरोहितों की आशंका निराधार है।
Many worshippers of the 51 temples of Uttarakhand has been meeting me since the UK BJP Govt has nationalised all these temples!! The UK AG should have consulted me before the State Govt carrying out this illegal act. Hence I have to file a PIL in UK HC
— Subramanian Swamy (@Swamy39) February 10, 2020
श्राइन बोर्ड के गठन से चारों धामों का विकास होगा। श्राइन बोर्ड गठन को लेकर पहले ही तीर्थ पुरोहितों और कांग्रेस का विरोध झेल रही प्रदेश सरकार की मुसीबतें और बढ़ने वाली हैं। क्योंकि हाल ही में बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने इस मुद्दे पर ऐसी बात बोल दी, जो कि आने वाले वक्त में प्रदेश की बीजेपी सरकार पर भारी पड़ सकती है। एक बयान में सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि मंदिरों को चलाना सरकार का काम नहीं है। हम इसके खिलाफ लड़ेंगे। सरकार मंदिर के काम में दखल नहीं दे सकती। उन्होंने कहा है कि श्राइन बोर्ड को लेकर उत्तराखंड के 51 मंदिरों के कई उपासक मुझसे मिलते रहते हैं, और खास बात ये है कि उत्तराखंड में बीजेपी सरकार ने इन सभी मंदिरों का राष्ट्रीयकरण किया है ! उत्तराखंड सरकार एजी को इस गैरकानूनी कार्य को करने से पहले सरकार से परामर्श करना चाहिए था। लेकिन ऐसा राज्य सरकार ने नही किया, इसलिए अबी सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि वो उच्च न्यायलय की शरण में जाकर जनहित याचिका दायर करेंगे।
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सरकार सिर्फ मंदिरों के आय-व्यय संबंधी मामले ही देख सकती है। ये कहने का हक सरकार के पास नहीं है कि मंदिर कैसा हो, वहां पूजा कैसे की जाए। ये सब देखना सरकार का काम नहीं है। सरकार पुजारियों के काम में हस्तक्षेप नहीं कर सकती।