मुंबई: राम मंदिर निर्माण को लेकर हर बाहर की तरह लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हर राजनीतिक दल और साधु-संत शोर मचा रहे हैं। इस शोर के बीच शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने नया नारा दिया है। उन्होंने कहा हर हिंदू की यही पुकार, पहले राम मंदिर, फिर सरकार। इस नारे के साथ सियासत भी गरमाने लगी है। ठाकरे ने अपने 24 और 25 नवंबर के अयोध्या दौरे की तैयारियों का जायजा लेने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की। इस बैठक में महाराष्ट्र के बाहर से भी पार्टी नेता शामिल हुए थे। ठाकरे ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से 24 नवंबर को पूरे राज्य में महाआरती का आयोजन करने लिए भी कहा है। वे 24 नवंबर को अयोध्या में सरयू पूजा का भी आयोजन करेंगे।
शिवसेना ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए एक अध्यादेश लाने में देरी से यह संकेत मिलता है कि केंद्र और उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा इसे लेकर इच्छुक नहीं है। दरअसल, शिवसेना राम मंदिर के निर्माण के लिए एक अध्यादेश लाने पर जोर दे रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पार्टी के सांसद संजय राउत ने कहा कि अगर राजग सरकार तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाने के लिए अध्यादेश ला सकती है, तो फिर देश के लिए गौरव का विषय राम मंदिर के निर्माण की बाधाओं को हटाने के लिए यह रास्ता क्यों नहीं अपनाती।
उन्होंने कहा कि 2014 में भाजपा को सत्ता में आने में मदद करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को मंदिर के निर्माण के लिए अध्यादेश लाने में विफल रहने को लेकर राजग सरकार को हटा देना चाहिए। राउत का बयान शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की अयोध्या की 25 नवंबर की प्रस्तावित यात्रा के मद्देनजर आया है। उनकी इस यात्रा के दौरान पार्टी इस मुद्दे पर अपने अगले कदम का खुलासा कर सकती है। राउत ने एक साक्षात्कार में कहा कि हमने चुनावों के लिए कभी राम मंदिर के मुद्दे का इस्तेमाल नहीं किया लेकिन जो लोग ऐसा करना चाहते हैं उनके बारे में हमें लगता है कि वे राम मंदिर नहीं चाहते हैं।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामने में कह कि आज भाजपा के पास केंद्र के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी पर्याप्त बहुमत है लेकिन वह लंबित मुद्दों को हल करने में नाकाम है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस मुद्दे के अदालत से सुलझने की संभावना नहीं है और मंदिर बनाने का एकमात्र समाधान अध्यादेश है। राम मंदिर के निर्माण के मुखर समर्थक शिवसेना के नेता ने कहा कि इस मुद्दे को सुलझाने के लिए समयसीमा 2019 होनी चाहिए। इसके अलावा उन्होंने कहा, किसी भी राजनीतिक दल और चुनाव के लिए ना तो राम मंदिर और ना ही बाबरी मस्जिद एजेंडा होना चाहिए। हमें कोई श्रेय नहीं चाहिए। आप ही श्रेय लीजिए लेकिन राम मंदिर बना दीजिए. अगर हम पिछले 25 साल में मंदिर के लिए एक भी ईंट नहीं रख सके, तो हम कौन-सा मंदिर बनाने जा रहे हैं।