शराब दुकानों के आवंटन में करोड़ो का खेल, आॅनलाईन टेंडर के नाम पर किया गया खेल!

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देहरादून: उत्तराखंड के आबकारी महकमें पर घपले-घोटाले के आरोप लगना कोई नई बात नही हैं। राज्य गठन के बाद से ही यह महकमा घोटालो का अड्डा बनकर रह गया है। इस महकमे के अधिकारी कब क्या कर दें, किसी को कानो-कान खबर नहीं होती है। राज्य में सरकार किसी भी पार्टी की रही हो, लेकिन आबकारी महकमें में फैले भ्रष्टाचार पर कोई सरकार लगाम नहीं लगा पाई।
उत्तराखंड आबकारी महकमें में भ्रष्टाचार का एक ताजा मामला फिर सामने आया है। इस बार भ्रष्टाचार का यह बड़ा खेल हुआ है आॅनलाईन टेंडर के नाम पर। गौरतलब है कि सरकार ने शराब माफियाओं और आबकारी अधिकारियों का गठजोड़ तोड़ने के लिए इस बार आॅनलाईन के जरिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू की है। इसके पीछे सरकार की सोच भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टालरेंस की नीति अपनाने की थी। क्योंकि इससे पहले शराब माफियाओं  और आबकारी अधिकारियों पर गठजोड़ कर सरकार को राजस्व के नुकसान पहुंचाने के आरोप लगते रहे हैं। इसी लिए सरकार ने इस बार पारदर्शी नीति अपनाने के लिए आॅनलाईन टेंडर प्रकिया शुरू की। लेकिन आबकारी अधिकारियों ने इसका भी तोड़ ढूड़ निकाला। कुछ ऐसे ही आरोप आबकारी महकमें और देहरादून जिलाआबाकारी अधिकारी पर लगाए हैं सामाजिक कार्यकर्ता विकेश सिंह नेगी ने।

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सामाजिक कार्यकर्ता विकेश सिंह नेगी का कहना है कि राजधानी देहरादून के अंतर्गत आने वाली शराब की 09 दुकानों के लिए आबकारी विभाग ने विगत 15 मई को आॅनलाइन टेंडर आमंतित्र किए। इसमें 5 देशी शराब की दुकाने जिसमें रायवाला, सहसपुर, कुलडी, विकासनगर, हरबर्टपुर, शामिल थी। इसके अलावा विदेशी शराब की 04 दुकाने, जिसमें रायवाला, चकराता, कोटी, पटेलनगर जीएमएसरोड़ शामिल थी।
विकेश सिंह नेगी का आरोप है कि विभाग ने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए 15 मई 2018 को राष्ट्रीय दैनिक अखबारों में इन दुकाने के लिए टेंडर निविदाएं आमंत्रित की। इसमें खास बात यह है कि निविदाओं को जमा करने की अंतिम तिथि भी उसी दिन यानि 15 मई को  दोपहर 03 बजे और खोलने की तिथि भी इसी दिन यानि 15 मई को 04 बजे रखी गई। और 04 बजे निविदायें खोल भी दी गई। विकेश सिंह नेगी का कहना है कि आज तक कोई भी टेंडर या निविदा महज 05 घंटे के समय के अंदर नहीं हुआ। यानि एक ही दिन में सारी प्रक्रिया पूरी कर दी गई। उनका आरोप है कि जिला आबकारी अधिकारी देहरादून द्वारा चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए यह सब खेल खेला गया। एक दैनिक अखबार में तो 15 मई 2018 को जो निविदा प्रक्रिया खत्म हो चुकी थी, वही टेंडर जस का तस 16 मई 2018 को प्रकाशित किया गया। आबकारी विभाग की इस हड़बड़ी और जल्दबाजी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस कदर अपनों को लाभ पहुंचाने के लिए काम किया जा रहा था।
विकेश  सिंह नेगी का आरोप है कि जब 15 मई से लेकर 19 मई तक यह 09 दुकाने दैनिक आंवटन पर चल रही थी तो विभाग को एक ही दिन में पूरी टेंडर प्रक्रिया समाप्त करने की क्या जल्दी थी। जबकि टेंडर प्रक्रिया के लिए कम 72 घंटे का समय तो दिया ही जा सकता था।
विकेश सिंह नेगी का आरोप है कि इन दुकानों के आवंटन में सरकार को करोड़ो के राजस्व का भी चूना लगाया गया। आबकारी विभाग के अधिकारियों की जल्दबाजी और चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए जो दुकाने 90 से 100 प्रतिशत दरों पर दी जा सकती थी विभाग ने महज 65 से 75 प्रतिशत पर उनका आंवटन कर दिया। इससे सरकार को करोड़ो के राजस्व का नुकसान हुआ है।
विकेश सिंह नेगी का कहना है कि इसकी शिकायत उन्होनें जिला आबकारी अधिकारी, आबकारी आयुक्त, आबकारी मंत्री, और माननीय मुख्यमंत्री को भी लिखित रूप से की। यही नहीं मुख्यमंत्री के समाधान पोर्टल पर भी इसकी शिकायत की गई लेकिन अभी तक इस पर कोई कार्रवाही नहीं की गई। जिसके बाद उन्हें यह मामला मीडिया के सामने लाना पड़ा। विकेश नेगी कहते हैं कि मैने अधिकारियों से मिलकर इस पर  कार्रवाही का अनुरोध किया तो उन्होंने कहा जो तुम से हो सकता है वह कर लो, अब कुछ नहीं हो सकता है। विकेश सिंह नेगी ने आबकारी मंत्री और मुख्यमंत्री उत्तराखंड त्रिवेन्द्र सिंह रावत से मांग की है कि इन अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाही के साथ ही सभी .09 दुकानों का आंवटन निरस्त कर, नए सिरे से पूरी पारदर्शिता के साथ दुकानों का आंवटन किया जाये।

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