नई दिल्ली: भाजपा अध्यक्ष अमित शाह राज्यसभा सांसद चुने जाने के बाद पहली बार संसद के उच्च सदन में बोले। उन्होंने इस दौरान इंदिरा गांधी को याद करते हुए उनके द्वारा 1969 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण का किया जाना सराहनीय कार्य बताया। इसी तरह उन्होंने लालबहादुर शास्त्री को याद करते हुए कहा कि 1965 में भारत-पाक युद्ध के बाद जब देश में अनाज का संकट पैदा हुआ तो तत्कालीन पीएम ने लोगों से सोमवार को एक वक्त का भोजन छोड़ने का आग्रह किया। उनकी अपील का व्यापक असर हुआ और जनता ने उनके आग्रह का सम्मान किया। मोदी की तुलना शास्त्री से करते हुए शाह ने कहा कि उनके बाद अब पीएम नरेंद्र मोदी का ही व्यक्तित्व ऐसा है कि उनके आग्रह पर कई लोगों ने कई किस्म की सब्सिडी छोड़ी। जैसे कि एक बड़े तबके ने गैस पर मिलने वाली सब्सिडी छोड़ी।
शाह ने जी.एस.टी. को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ बताए जाने की तीखी आलोचना की। शाह ने दावा किया कि जीएसटी से छोटे और मझोले व्यापारी मजबूत होंगे। तीन तलाक विधेयक के विरोध को लेकर शाह ने कांग्रेस पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि आज वंशवाद, जातिवाद एवं तुष्टिकरण नासूर को प्रश्रय नहीं देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की एक बड़ी उपलब्धि बताया।
पकौड़ा पॉलिटिक्स पर दिया जवाब
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने विपक्ष की पकौड़ा पॉलिटिक्स पर जवाब देते हुए कहा है कि पकौड़ा बेचना कोई शर्म की बात नहीं है। यह काम बेरोजगारी से तो अच्छा है। दरअसल कांग्रेस नेता पी.चिदंबरम समेत कई विपक्षी नेताओं के पकौड़ा बेचने सम्बन्धी पीएम के बयान पर निशाना साधा था। इसी कड़ी में अमित शाह ने कहा कि जिस तरह एक चायवाले का बेटा देश का प्रधानमंत्री बन सकता है, उसी तरह एक पकौड़े वाले की भी अगली पीढ़ी उद्योगपति बन सकती है। साथ ही उच्च सदन में अपने पहले भाषण में उन तमाम योजनाओं और पहलों को विशेष तौर पर उल्लेख किया जिनके बारे में पिछले 70 साल में कुछ नहीं किया गया या बहुत कम प्रयास किए गए।