नई दिल्ली: देश में बनी धनुष तोप के सोमवार को सेना में शामिल होते ही भारतीय सेना को ‘देसी’ बोफोर्स मिल गई। ‘देसी’ बोफोर्स के रूप में प्रसिद्ध बहुप्रतिक्षित धनुष 155/45 कैलिबर गन प्रणाली निश्चित रूप से सेना की मारक क्षमता में वृद्धि करेगी। धनुष बंदूक प्रणाली 1980 में प्राप्त बोफोर्स पर आधारित है और कथित भ्रष्टाचार के कारण इसकी खरीद को लेकर विवाद हुआ था।
के-9 वज्र और एम-777 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर तोप के बाद धनुष के सेना में शामिल होने से एक अंतराल के बाद मोदी सरकार के अंतर्गत तोपखाने में हथियारों को शामिल किए जाने को बढ़ावा मिला है। के-9 वज्र एक स्व-चालित दक्षिण कोरियाई हॉवित्जर और एम-777 अमेरिका से प्राप्त अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर तोप है। धनुष को बोफोर्स की तर्ज पर जबलपुर स्थित गन कैरिज फैक्ट्री में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है। सेना ने स्वदेशी बंदूक उत्पादन परियोजना का सक्रिय रूप से समर्थन किया है और 110 से अधिक धनुष तोपों का ऑर्डर दिया है।
धनुष के सेना में प्रवेश को एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है क्योंकि यह भारत में निर्मित होने वाली लंबी रेंज की पहली तोप है। धनुष को सौंपने वाला समारोह सोमवार को आयोजित किया गया। गन कैरिज फैक्ट्री में छह बंदूक प्रणालियों को पेश किया गया।
धनुष तोप के बैरल का वजन 2692 किलो है और इसकी लंबाई आठ मीटर है। धनुष तोप की मारक क्षमता 42-45 किलोमीटर तक है। इसके भारतीय सेना में शामिल होने से सीमा पर दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब मिलेगा। धनुष तोप लगातार दो घंटे तक फायर करने में सक्षम है और यह प्रति मिनट दो फायर करती है। इसमें 46.5 किलो का गोला प्रयोग किया जाता है।