रुद्रप्रयाग: पंचकेदारों में द्वितीय केदार के रुप में पूजित भगवान मध्यमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली हजारों भक्तों के जयकारों के साथ ही रविवार को पंचकेदार गद्दी स्थल उखीमठ पहुंच चुकी है। जहां पूर्व परंपराओं के अनुसार बाबा की विग्रह मूर्ति को गद्दी स्थल पर विराजमान कर दिया गया है। अब अगले छह महीनों तक शीतकाल में बाबा की सभी पूजाएं यहीं पर सम्पन्न होंगी। हिमालय स्थित बाबा के धाम मध्यमहेश्वर के कपाट 22 नवम्बर को शीतकाल के लिए बन्द हो गये थे।
जिसके बाद बाबा की विग्रह डोली गौण्डार, रांसीं व गिरिया में रात्रि प्रवासों के बाद रविवार को उखीमठ पहुंची। राउलेंक, उनियाणा, जुगासू, मनसूना होते हुए बाबा की डोली पंचायती चैक पहुंची, जहां बाबा का स्वर्ण आभूषणों के साथ श्रृंगार किया गया। और जगह-जगहों पर बाबा की भोग मूर्ति को स्थानीय महिलाओं द्वारा अर्घ लगाया गया। यहां बताते हुए चलें कि केदारघाटी व मध्यमहेश्वर घाटी में बाबा को ईष्ट देव के रुप में जाना जाता है, और यही कारण है कि बाबा के आगमन पर यहां तीन दिवशीय भव्य मेले का भी शुभारंभ होता है।
जब्कि बाबा केदारनाथ के उखीमठ पहुंचने पर इस तरह के आयोजन नहीं होते हैं। मध्यमहेश्वर के मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग, पंचगौण्डारियों, बद्रीकेदार मंदिर समिति व प्रशासन की अगुवाई में बाबा की यह यात्रा चलती है। गद्दी स्थल पर केदारनाथ जी के रावल 1008 श्री भीमाशंकर लिंग महाराज डोली का स्वागत करते हैं। डोली पहुंचने से पूर्व रावल जी ने तीन दिवशीय मेले का भी शुभारंभ किया। इस दौरान हजारों की तादाद में श्रद्वालु भक्त मौजूद रहे।