नई दिल्ली: केरल के सबरीमाला मंदिर में 10-50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर रोक को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के अंदर सभी उम्र की महिलाओं को इजाजत दे दी है। यानी अब हर उम्र की महिला सबरीमाला मंदिर में प्रवेश कर सकेगी। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने आठ दिनों तक सुनवाई करने के उपरांत 1 अगस्त को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई में जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा पांच जज बेंच में शामिल थे। हालांकि यह फैसला 4-1 के बहुमत से आया है। बेंच में शामिल जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने अलग फैसला दिया है।
सीजेआई दीपक मिश्रा ने कहा कि सीजेआई दीपक मिश्रा ने कहा कि धर्म में सब बराबर होते हैं। हमारी संस्कृति में महिला का स्थान आदरणीय है। यहां महिलाओं को देवी की तरह पूजा जाता है और मंदिर में प्रवेश से रोका जा रहा है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय बेंच इस मामले पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी भी मामले में महिलाएं पुरुषों से कम आदरणीय नहीं हैं। कोर्ट ने अगस्त में सुनवाई पूरी होने के बाद इस पर अपना फैसला सुरक्षित रखा लिया था।
बता दें कि कोर्ट के फैसले से पहले सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं की मंदिर के अंदर एंट्री नहीं थी। इसको लेकर काफी समय से विवाद चल रहा था। मंदिर प्रबंधन का महिलाओं के प्रतिबंध पर तर्क था कि 10 से 50 साल की उम्र तक की महिलाओं के प्रवेश पर इसलिए बैन लगाया गया है क्योंकि मासिक धर्म के समय वे शुद्धता बनाए नहीं रख सकतीं। वैसे भी मासिक धर्म के समय महिलाओं का धार्मिक कर्मकांठ के समय दूरी बनाए रखने की पंरपरा काफी समय से चली आ रही है।