बागेश्वर: केंद्र व राज्य सरकार लगातार शिक्षा को बढ़ावा देने की बात करती है। और हवा-हवाई सर्व शिक्षा अभियान भी खूब चलाये जाते हैं। कई सरकारी व गैर सरकारी नीतियों से शिक्षा को बढ़ावा देने के कोरे आश्वासनों से जनता को भ्रमित भी खूब किया जा रहा है। लेकिन शिक्षा की जमीनी हकीकत बयां कर रहा है राजकीय इंटर कालेज तिलसारी।
बागेश्वर जिले के दुर्गम क्षेत्र तिलसारी में एकमात्र इंटर कॉलेज है और वो भी बदहाली के आंसू रो रहा है। यहाँ बच्चों को डर-डर के पढ़ाई करनी पड़ रही है, क्योंकि विद्यालय का भवन जीर्ण-क्षीर्ण स्थिति में है। भवन इतनी जर्जर हालत में है कि, जरा-सी भी बारिश व भूकम्प आते ही बच्चों के जान का खतरा बन सकता है। बीते कुछ दिनों की बात करें तो, विद्यालय का एक भवन बारिश से पूर्ण क्षतिग्रस्त हो गया और शुक्र है कि, ये घटना दिन में नही हुई वरना बहुत बड़ी जन हानि हो सकती थी।
विद्यालय में बरसात के समय बच्चों के बैठने की कोई जगह सुरक्षित नही है। थोड़ी-सी बारिश होने पर ही सारा पानी भवन के अंदर घुस आता है। साथ ही भवन की दीवारों में भी दरारें पड़ी हैं।
तिलसारी के इस दुर्गम क्षेत्र के इस इंटर कॉलेज में नरगवाडी, तिलसारी, मटे, बगोटिया, चनोली, उद्खुलि गांवों सहित कई अन्य गांवों के छात्र-छात्राएं पढ़ाई करते हैं। लेकिन व्यवस्था के अभाव में सक्षम अभिभावक पैसे खर्च कर अपने बच्चों को अन्य जगह भेजने को मजबूर हैं। लेकिन, गरीब तबके के लोगों के पास इस विद्यालय में पढने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नही है। जिससे ये लोग अपने नौनिहाल बच्चों को शिक्षित करने के लिए अपने कलेजे पर पत्थर रख कर इस विद्यालय में भेजने को मजबूर हैं।
इस विद्यालय के पास अपनी भूमि इतनी है कि, यहाँ कई नए भवन बनाये जा सकते हैं। लेकिन विभाग व स्थानीय जनप्रतिनिधियों का इस ओर ध्यान ही नही होने से विद्यालय बदहाल पड़ा है।
वहीँ मुख्य शिक्षा अधिकारी हरीश चन्द्र को विद्यालय की बदहाल व्यवस्था से अवगत कराया गया, तो वे उलटा मीडिया पर ही भडक गये। साथ ही उन्होंने कहा कि, यदि मैं मीडिया से कहता हूँ कि, अभी बजट नहीं है, तो क्या मीडिया बजट लेकर आएगा एक महिने में! साथ ही मुख्य शिक्षा अधिकारी ने स्पष्ट किया कि, हमारे पास स्कूलों की मरम्मत तक का पैसा नही है। सरकार से कोई भी मदद नही मिल रही है।
ऐसे में अब सरकारी महकमे व जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने इस ओर ध्यान दिया होता, तो हमारे नौनिहालों के भविष्य से यूँ खिलवाड़ नही होता। अब ऐसी व्यवस्था से अंदाजा लगाया जा सकता है कि, हमारी सरकारें हमारे मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा कर पाने में कितना कामयाब हो पायी है।