देहरादून: आज़ादी के वक्त के गांधी स्कूल जो कि, सरकार के अधीन है, उसे ट्रस्टी धीरे-धीरे करके व्यवसाइयों को बेचते जा रहे हैं। ये आरोप स्कूल प्रशासन पर स्कूल के ही एक पूर्व छात्र ने लगाये हैं।
देहरादून घंटाघर के समीप ही डिस्पेंसरी रोड़ पर स्थित गांधी स्कूल की कक्षाओं को स्कूल के ट्रस्टी दुकानों में तब्दील करने का भी आरोप उन्होंने लगाये हैं। साथ ही पूर्व छात्र ने दावा किया कि, इससे पहले भी स्कूल की ज़मीन पर कुछ दुकाने हैं, जिन्होने एक दुकान की आड़ में स्कूल के कई कमरों में अपने गोदाम बना डाले हैं। हद तो तब हो गई है जब अब स्कूल की कक्षा को तोड़कर दुकान बनाने की योजना बनाई जा रही है।
बता दें कि, यह स्कूल सरकार के अधीन है, भूमि नज़ूल की है जिसे कोई ट्रस्ट बेच नहीं सकता है या फिर किराये पर कक्षाओॆं के कमरों को कैसे दे सकता है।
गांधी स्कूल के पूर्व छात्र रहे विजय ने इस बात पर आप्पति जताते हुए कहा कि, ट्रस्ट अपनी मर्जी से स्कूल की ज़मीन को खुर्द-बुर्द कर रहा है। इससे पहले भी स्कूल की कक्षाओं को किराये पर चला रहे दुकानदार को दी गई हैं और अब प्राइवेट पुस्तकालय को बनाने के लिए स्कूल के बच्चों का कमरे दिए जा रहे हैं। विजय ने कहा कि, नज़ूल की भूमि जो कि, सरकार की सम्पत्ति होती है उसे कैसे बेचा जा सकता है। विजय ने ट्रस्ट पर पैसों का लेन-देन का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की है।