नई दिल्ली : सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कर्मियों के पदोन्नति में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण नहीं दिया जा सकता। सीजेआई दीपक मिश्रा, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस इंदू मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने इस मामले पर अपना फैसला दिया। कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण पर नागराज मामले में फैसले को सही बताते हुए कहा कि इस पर दोबारा से विचार करने की जरूरत नहीं है। बता दें कि शीर्ष न्यायालय में याचिकाएं दायर कर अनुरोध किया गया था कि वह 2006 के अपने फैसले पर पुनर्विचार करे। इस फैसले में एससी-एसटी कर्मियों को पदोन्नत देने के लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं।
बता दें कि 2006 में पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने अपने फैसले में कहा कि राज्य अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के पिछड़ेपन पर संख्यात्मक आंकड़ा देने के लिए बाध्य हैं। कार्ट ने कहा कि इन समुदायों के कर्मचारियों को पदोन्नत में आरक्षण देने से पहले राज्य सरकारी नौकरियों में उनके अपर्याप्त प्रतिनिधित्व एवं प्रशासनिक कार्यकुशलता के बारे में तथ्य पेश करेंगे।