देहरादून: जनसंघर्ष मोर्चा कार्यकर्ताओं द्वारा मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी के नेतृत्व में संविदा कर्मचारियों के मामले को लेकर तहसील का घेराव कर महामहिम राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन एसडीएम जितेन्द्र कुमार को सौंपा।
इस दौरान रघुनाथ नेगी ने कहा कि, अभी एक सप्ताह पहले माननीय उच्च न्यायालय ने प्रदेश के 40 हजार संविदा/दैनिक वेतनभोगी व तदर्थ कर्मचारियों को नियमित होने सम्बन्धी सेवा नियमितीकरण नियमावली 2016 को निरस्त कर सरकार की गलत नीतियों पर प्रहार किया है, लेकिन इन 40 हजार संविदा कर्मचारियों के भविष्य से भी खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि, महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि सरकार इन संविदा कर्मचारियों के मामले में यदि मजबूत पैरवी करती तो नियमावली निरस्त होने की नौबत नहीं आती और न ही इन युवाओं का भविष्य चौपट होता।
उन्होंने कहा कि, इस नियमावली के निरस्त होने से इन कर्मचारियों के भविष्य पर अंधकार छा गया है, जिसके लिए सीधे तौर पर सरकार जिम्मेदार है, सरकार को सोचना चाहिए था कि इनसे अधिकतर युवा पहले अन्य प्रकार से नौकरी कर संविदागत हुए हैं तथा कई ओवरऐज हो चुके हैं, जो आज बर्बादी की कगार पर पहुँच चुके हैं।
उन्होंने कहा कि, वर्ष 2000-2002 में महाधिवक्ता कार्यालय (मा. उच्च न्यायालय नैनीताल) में जब मात्र दो-चार महीने के भीतर ही तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के दैनिक वेतनभोगी/तदर्थ कर्मचारी नियमित हो सकते हैं तो इन कर्मचारियों को 5 वर्ष के सेवा पूर्ण होने के बाद भी नियमितीकरण का हकदार क्यों नहीं माना जा सकता है। इन तथ्यों को लेकर माननीय न्यायालय में पैरवी करने की जरूरत है।
मोर्चा ने महामहिम राज्यपाल से आग्रह किया है कि, सहानुभूतिपूर्वक विचार कर उक्त पदों के सापेक्ष योग्य संविदा कर्मियों को, जो कि शैक्षणिक व विभागीय नियम-शर्ते पूर्ण करता है, उनकी पैरवी करने हेतु सरकार को निर्देशित करने का कष्ट करें, जिससे इन युवाओं के नियमितीकरण का रास्ता साफ हो सके।