नई दिल्ली: रिजर्व बैंक और सरकार के बीच तकरार ज्यादा बढ़ गई है। ऐसी खबरें सामने आ रही हैं कि रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल इस्तीफा दे सकते हैं। जानकारी के अनुसार अगर सरकार रिजर्व बैंक का सेक्शन-7 लागू करती है तो उर्जित पटेल इस्तीफा दे सकते हैं। रिजर्व बैंक के सेक्शन-7 के तहत सरकार को ये अधिकार है कि वो आरबीआई के गवर्नर को गंभीर और जनता के हित के मुद्दों पर काम करने के लिए निर्देश दे सकती है।
ऐसी जानकारी है कि उर्जित पटेल ने अपना पक्ष सरकार के सामने रख दिया है। ईटी नाउ के मुताबिक उर्जित पटेल ने सरकार से कह दिया है कि वो आरबीआई के रिजर्व पर पर रेड न करे। सरकार चाहती है कि अगर पटेल इस्तीफा देते हैं तो अगला गवर्नर कोई ब्यूरोक्रेट हो। ईटी नाउ के मुताबिक सरकार को लगता है कि इकोनॉमिस्ट के तौर पर रिजर्व बैंक का गवर्नर भारत के लिए ठीक से काम नहीं कर सकता है।
सरकार ने अब तक आरबीआई एक्ट के सेक्शन-7 को लागू नहीं किया है। पिछले कुछ समय से सरकार और रिजर्व बैंक के बीच कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल वी आचार्य ने शुक्रवार को कहा था कि केंद्रीय बैंक की आजादी की उपेक्षा करना ‘बड़ा घातक’ हो सकता है।
इसके बाद रिजर्व बैंक और सरकार के बीच चल रहा मतभेद सामने आ गया। इसके बाद कल वित्तमंत्री अरुण जेटली ने रिजर्व बैंक की तीखी आलोचना की थी। जेटली ने कहा था कि शीर्ष बैंक 2008 से 2014 के बीच अंधाधुंध कर्ज देने वाले बैंकों पर अंकुश लगाने में नाकाम रहा।
उन्होंने कहा कि बैंकों में फंसे कर्ज (एनपीए) की मौजूदा समस्या का यही कारण है। जेटली ने इंडिया लीडरशिप समिट में कहा, वैश्विक आर्थिक संकट के बाद आप देखें 2008 से 2014 के बीच अर्थव्यवस्था को कृत्रिम रूप से आगे बढ़ाने के लिये बैंकों को अपना दरवाजा खोलने और अंधाधुंध तरीके से कर्ज देने को कहा गया।