रुद्रप्रयाग: देवभूमि उत्तराखंड यहां के मंदिर, आस्था और परंपराओं के कारण विश्व में अलग पहचान रखता है।चार धामों के अलावा भी कई ऐसे आस्था के केंद्र हैं जहां देश-विदेेेश से श्रद्धालु खिंचे चले आते हैं। ऐसा ही एक मन्दिर केदारनाथ के समीप भगवान विष्णु का है। जो श्रद्धा के चलते तो भक्तों को खींच ही रहा है, एक उभरता हुआ वेडिंग डेस्टिनेशन भी है। जो खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र का सपना है। यहाँ तीन हेलीपेड है। जो केदारनाथ के सबसे समीप है। इसके बावजूद केदारनाथ हेलिसेवा के लिए किए गए टेंडर में इन तीनों हेलिपेडो की अनदेखी की गई है। और किसी भी कम्पनी को इन हेलिपेडो के लिए टेंडर नहीं दिया गया है। जिससे यहां पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट आई है। और यहां के गरीब परिवार जिनका रोजगार पर्यटकों पर निर्भर था उन्हें आर्थिक तंगी से झूझना पड़ रहा है कि रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ धाम जाते समय सोनप्रयाग से एक सड़क दाईं तरफ जाती है।
इसी सड़क पर लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर है भगवान विष्णु का मंदिर त्रियुगीनारायण कहा जाता है कि इस मंदिर के आंगन में ही भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। जिसके साक्षी खुद भगवान विष्णु बने थे। कहा जाता है कि ये मंदिर केदारनाथ मंदिर बनने से बहुत पहले त्रेता युग में बनाया गया था, इसकी स्थापत्य कला की शैली भी केदारनाथ मंदिर जैसी ही है। मंदिर के आस-पास बने कुंड, इसके बारे में कहा जाता है कि इनका पानी भगवान विष्णु की नाभी से निकलता है। यहां कई कुंड हैं लेकिन उनका पानी कहां जाता है, यह पता ही नहीं चलता।यही कारण है कि दूर-दूर से भक्त शिव और नारायण का आशीर्वाद पाने के लिए यहां आते हैं।केदारनाथ के दर्शन को आने वाले लोग इस मंदिर के भी दर्शन करने आते हैं। लेकिन इस साल हेलिसेवा के टेंडर में यहां बने हेलिपेडो को स्थान नहीं दिया गया। जिससे तीर्थ यात्री यहां दर्शन के लिए नहीं आ पा रहे हैं। पर्यटकों पर निर्भर रहने वाले यहां के गरीब परिवारों का रोजगार छिन गया है। साधन उपलब्ध न होने के कारण लोग मंदिर के दर्शन को नही जा पा रहे हैं। यहां के स्थनीय निवासी ने हेलो उत्तराखंड की टीम से बात करते हुए बताया कि यहां मुख्यमंत्री ने इसे अपने डेस्टिनेशन में शामिल कर उन्हें रोजगार दिया था। यहां पर्यटको की आवाजाही बड़ी थी जिससे उनका रोजगार अच्छा चल रहा था। लेकिन इस बार यात्रियों की संख्या में भारी गिरावट आई है। पहले केदारनाथ आने वाले तीर्थ यात्री यही से होकर जाते थे क्योंकि यह सबसे समीप था। लेकिन इस बार यहां के हेलीपैड खाली पड़े हैं। पर्यटक यहां तक नही पहुँच पा रहे हैं । वह लोग पूरी तरह से पर्यटको पर निर्भर थे ।लेकिन अब पर्यटकों के न आने से उन्हें काफी निराशा हाथ लगी है। आर्थिक तंगी से भी जूझना पड़ रहा है।उन्होंने अपील की है कि सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।