नई दिल्ली: देश में हो रही मॉब लिंचिंग की अलग-अलग घटनाओं को लेकर राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि ‘भीड़ हत्या’ (लिंचिंग) पश्चिमी तरीका है और देश को बदनाम करने के लिए भारत के संदर्भ में इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
कानून और व्यवस्था की सीमा का उल्लंघन कर हिंसा की प्रवृत्ति समाज में परस्पर संबंधों को नष्ट कर अपना प्रताप दिखाती है।यह प्रवृत्ति हमारे देश की परंपरा नहीं है,न ही हमारे संविधान में यह बैठती है।कितना भी मतभेद हो,कानून और संविधान की मर्यादा के अंदर ही,न्याय व्यवस्था में चलना पड़ेगा।
— RSS (@RSSorg) October 8, 2019
मोहन भागवत ने यह बात विजयदशमी के मौके पर रेशमीबाग मैदान में ‘शस्त्र पूजा’ के बाद स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि ‘लिंचिंग’ शब्द की उत्पत्ति भारतीय लोकाचार से नहीं हुई, ऐसे शब्द को भारतीयों पर ना थोपा जाए। इस दौरान संघ प्रमुख ने कहा कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री शाह की सराहना की जानी चाहिए।यह एक साहसिक कदम था।मोहन भागवत ने मॉब लिंचिंग के मुद्दे पर कहा कि कानून व्यवस्था की सीमा का उल्लंघन कर हिंसा की प्रवृत्ति समाज में परस्पर संबंधों को नष्ट कर अपना प्रताप दिखाती है। यह प्रवृत्ति हमारे देश की परंपरा नहीं है, न ही हमारे संविधान में यह है। कितना भी मतभेद हो, कानून और संविधान की मर्यादा में रहें। न्याय व्यवस्था में चलना पड़ेगा।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक का पहला आंदोलन ही देश में एक विधान और एक परिधान के लिए हुआ था। मोहन भागवत ने कहा कि इस सरकार में जनता ने विश्वास दिखाया है। सरकार ने भी कई कड़े फैसले लेकर बताया कि उसे जनभावना की समझ है। गुरु नानक देव की 550वीं जयंती, महात्मा गांधी की 150वीं जयंती, लोकसभा चुनाव जैसी कई घटनाएं हैं जिनकी वजह से यह साल कई सालों तक याद रहेगा।