रिपोर्टर: कृष्णपाल सिंह रावत
थत्यूड: भले ही सरकार आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के लाख दावे करती आ रही है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। ऐसा ही नजारा समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र थत्यूड में भी देखने को मिल रहा है। जहां डाक्टरों के अभाव में ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधा का लाभ न मिलने से यह मात्र सीएचसी रैफर सेन्टर बना हुआ है।
जौनपुर विकास खंड मुख्यालय थत्यूड प्रदेश की राजधानी से महज 65 किमी की दूरी पर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र थत्यूड की बदहाली सरकार की लचर स्वास्थ्य सुविधा के चलते क्षेत्र की 80 ग्राम पंचायतों की लगभग 40 हजार से अधिक लोगों को बेहतर स्वास्थ्य उपचार की जिम्मेदारी मात्र सीएचसी के आधीन चल रही है। केन्द्र में हर रोज करीब 50 से 70 मरीज उपचार के लिए आते हैं। लेकिन शासन-प्रशासन की घोर उदासीनता व लचर स्वास्थ व्यवस्थाओं के कारण आज अस्पताल ही खुद बीमार बना है। जहां अनदेखी के चलते केन्द्र में डाक्टरों व स्टाफ की कमी से अस्पताल दम तोडता नजर आ रहा है।
मुख्य बात है कि समुदायिक स्वास्थ केंद्र में डॉक्टरों की कमी तो है ही, दो-दो एक्सरे मशीनें होने पर भी कई साल से टैक्नीशियन का पद रिक्त से केन्द्र में मशीनों पर जंग लगने से खस्ताहाल हो रही है। जिसके चलते छोटी-मोटी जांच के लिए भी लोगों को मसूरी और देहरादून जाने को मजबूर होना पड़ता है। जिससे भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
अस्पताल में कुल 12 डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं, वर्तमान में तो कागजों में 4 तैनात है लेकिन 2 ही डॉक्टरों के भरोसे अस्पताल चल रहा है। जिससे क्षेत्र की जनता को उचित उपचार और स्वास्थ्य सुविधा लाभ न मिलने से ग्रामीणों में भारी आक्रोश है।
वही थत्यूड प्रधान गोविन्द असवाल और ग्रामीणों का कहना है कि, केंद्र में डॉक्टरों व स्टाफ की कमी से सीएचसी में क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ सुविधा का लाभ नही मिल रहा है। यहां इलाज के लिए जो भी आता है उसे देहरादून-मसूरी के लिए रेफर कर दिया जाता है। चाहे वह छोटा केस हो या बड़ा केस, यह स्वास्थ्य केन्द्र मात्र रेफर सेन्टर के साथ-साथ नाम मात्र का स्वास्थ्य केंद्र रह गया है।