टोक्यो: जापान के सम्राट अकिहितो ने मंगलवार को औपचारिक रूप से अपना पद त्याग दिया। अब उनकी जगह युवराज नारुहितो लेंगे। दुनिया के सबसे पुराने राज परिवार में 200 साल में पहली बार कोई सम्राट अपना पद राजी-खुशी छोड़ रहा है। अपने अंतिम भाषण में अकिहितो ने जापान के लोगों का हृदय से आभार जताया और कहा कि वे जापान और पूरी दुनिया में सभी लोगों की शांति और खुशी के लिए प्रार्थना करेंगे।
तोक्यो में लगातार बारिश होने के बावजूद राजमहल के बाहर ऐतिहासिक समारोह में सैकड़ों शुभचिंतक इकट्ठा हुए। प्रधानमंत्री शिजो आबे और शाही परिवार के एक दर्जन सदस्यों सहित करीब 300 लोगों ने समारोह में शिरकत की। राजमहल के बाहर खड़े 50 वर्षीय बैंक कर्मचारी यायोई इवासाकी ने अश्रुपूर्ण नेत्रों से कहा कि मैं भावनात्मक रूप से अभिभूत हूं।
सम्राट के पद त्यागने के रीति-रिवाजों की शुरुआत स्थानीय समयानुसार शाम करीब पांच बजे हुई। सुनहरे-भूरे रंग के पारंपरिक लिबास और काले रंग की परंपरागत जापानी टोपी पहने वह सबसे पहले राजपरिवार के प्रार्थना स्थल पर पहुंचे। अकिहितो अपना क्राइसैंथिमम थ्रोन अपने सबसे बड़े बेटे युवराज नारुहितो (59) को सौंप रहे हैं।
नारुहितो बुधवार को एक अलग समारोह में सम्राट का पद ग्रहण करेंगे, इसके साथ ही रेइवा नामक नए राजशाही युग की शुरुआत होगी। यह युग नारुहितो के पूरे शासनकाल तक जारी रहेगा। सम्राट अकिहितो मंगलवार को अपने पूर्वजों और देवी शिन्तो से जुड़े विभिन धार्मिक स्थलों पर गए और उन्हें अपने पद त्यागने के फैसले के बारे में बताया।
पूर्वजों और देवी-देवताओं को अपने फैसले से अवगत कराने के बाद 85 वर्षीय सम्राट इम्पीरियल पैलेस में आयोजित एक समारोह में पहुंचे जहां उन्होंने राजपरिवार के सदस्यों और सरकार के वरिष्ठजनों को अपने पद त्यागने की जानकारी दी। सम्राट का कार्यकाल मंगलवार रात 12 बजे तक जारी रहेगा।
इसके बाद बुधवार को युवराज नारुहितो को राजपरिवार की तलवार, मूल्यवान आभूषण और राजपरिवार की मुहर सौंपी जाएगी। बतौर सम्राट अपने अंतिम संबोधन में 85 वर्षीय अकिहितो ने जापान के लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि वह जापान और दुनिया भर के लोगों की शांति और प्रसन्नता के लिए प्रार्थना करेंगे।