देहरादून: शुक्रवार को शौर्य दिवस के अवसर गांधी पार्क में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कारगिल शहीद स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित कर कारगिल शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की रक्षा के लिए हमारे जवानों ने हमेशा अदम्य साहस का परिचय दिया। उत्तराखण्ड के जवानों ने देश की रक्षा के लिए सभी युद्धों में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। भारत की थल सेना, वायु सेना और नौसेना आज हर मोर्चे पर अग्रिम स्थिति में है। देश को सुरक्षित रखने के लिए शास्त्रों का ज्ञान होना चाहिए, वहीं देश की सीमाएं सुरक्षित रखने के लिए शस्त्रों से भी मजबूत होना जरूरी है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि सैनिकों व पूर्व सैनिकों की समस्याओं के समाधान के लिए प्रदेश स्तर पर अपर मुख्य सचिव नोडल आफिसर होंगे। सैनिकों के लिए सचिवालय प्रवेश हेतु उनका सेना का पहचान पत्र मान्य होगा। उन्हें सचिवालय प्रवेश हेतु अलग से लाईन में खड़ा नहीं होना पड़ेगा। प्रत्येक जनपद में सैनिकों व पूर्व सैनिकों की समस्याओं के समाधान के लिए अपर जिलाधिकारी को नोडल अधिकारी बनाया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री हेल्पलाईन नम्बर 1905 पर कोई भी व्यक्ति अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है, जब तक शिकायतकर्ता संतुष्ट न हो तब तक शिकायत का निस्तारण नहीं माना जायेगा। सीएम हेल्पलाईन नम्बर की प्रत्येक माह मुख्य सचिव समीक्षा करते हैं। समय-समय पर मुख्यमंत्री स्वयं इसकी समीक्षा करेंगे।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तराखण्ड में सैन्य धाम को पांचवें धाम की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि देहरादून में एक विशाल एवं भव्य शौर्य स्थल बनाया जायेगा। इस शौर्य स्थल में देश की रक्षा के लिए अपना बलिदान देने वाले सैनिकों का नाम होगा। यह शौर्य स्थल आधुनिक होगा व यहां पर अनेक प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध होंगी। शौर्य स्थल के लिए देहरादून में भूमि चिन्हित कर ली गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सैनिकों व पूर्व सैनिकों को हर संभव मदद करेगी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने पदक विजेता सैन्य अधिकारियों, सैनिकों, सैनिकों के परिवारजनों व वीरनारियों को सम्मानित भी किया।
इस दौरान उच्च शिक्षा राज्य मंत्री धन सिंह रावत, विधायक गणेश जोशी, खजान दास, मुकेश कोली, मुन्नी देवी शाह, जनरल ओपी कौशिक, ब्रिगेडियर केजी बहल, रमेश भाटिया, जिलाधिकारी देहरादून सी. रविशंकर सहित वरिष्ठ सैन्य अधिकारी, सैनिक व उनके परिजन मौजूद रहे।