देहरादून: विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन सदन में अनुपूरक बजट पेश किया गया। संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने सदन में कुल 2,533 करोड़ का अनुपूरक बजट पेश किया।
वहीँ नियम 58 के तहत निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पँवार ने सदन में चारधाम श्राइन बोर्ड का मुद्दा उठाया औऱ कहा कि इससे तीर्थ पुरोहितों के हक हकूकों पर असर पड़ेगा। साथ ही रानीखेत में सड़कों की मांग को लेकर करण माहरा ने हंगामा किया। वहीं इससे पहले गन्ना किसानों के भुगतान, गैरसैंण औऱ महंगाई के मुद्दे को लेकर विपक्ष ने सरकार को जमकर घेरा। हंगामे के चलते कांग्रेस ने 3 बजे सदन से वॉकआउट किया।
राजस्व मद में 1606.33 करोड़।
पूंजीगत मध्य में 927.56 करोड़ किया गया प्राविधान।
वेतन के मत के लिए कुल 166.65 करोड़, पेंशनादि मदों में 37.18 करोड़ का प्रावधान।
विश्व बैंक सहायक ग्रामीण पेयजल एवं पर्यावरण स्वच्छता पर योजना के अंतर्गत 70 करोड़ का प्राविधान।
केंद्रीय सहायता योजनाओं के अंतर्गत 848.11 करोड़ का प्राविधान।
सीमांत क्षेत्र विकास कार्यक्रम हेतु 20 करोड़ का प्राविधान।
पुलिस इंटरसेप्टर वाहनों के क्रय हेतु एक करोड़ का प्राविधान।
पुलिस विभाग के आवासीय/अनावासीय भवनों के निर्माण हेतु चार करोड़ का प्राविधान।
जिलों का निर्माण भूमि क्रय हेतु 10 करोड़ का प्राविधान।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत प्रतिपूर्ति के लिए 107.41 करोड़ का प्राविधान।
राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अधिनियम हेतु 5 करोड़ का प्राविधान।
राजकीय उपाधि महाविद्यालय हेतु 40.30 करोड़ का प्राविधान।
राजकीय महाविद्यालयों विश्वविद्यालयों में एडुवैट के माध्यम से शिक्षा हेतु एक करोड़ का प्रावधान।
इंजीनियरिंग कॉलेज द्वाराहाट हेतु 5 करोड़ का प्राविधान।
उत्तराखंड आवासीय विद्यालय जहरीखाल पौड़ी का भवन निर्माण हेतु 1.76 करोड़ का प्राविधान।
छात्रावासों का निर्माण हेतु 6 करोड़ का प्राविधान।
रूसा के अंतर्गत विश्वविद्यालय शासकीय तथा अशासकीय महाविद्यालयों के भवन निर्माण हेतु 40 करोड़ का प्राविधान।
ग्रामीण क्षेत्रों में मिनी स्टेडियम हेतु दो करोड़ का प्राविधान।
राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन हेतु 5.50 करोड़ का प्राविधान।
बेस चिकित्सालय पिथौरागढ़ का निर्माण हेतु 5 करोड़ का प्राविधान।
क्या है अनुपूरक बजट
वित्तीय वर्ष बीतने के पहले अगर बजट अपर्याप्त होता है तो उसकी मांग सदन में पेश की जाती है। यह अनुपूरक बजट कहलाता है। अनुपूरक अनुदानों की मांगें वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले सदन में पेश की जाती हैं।