नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत ने राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए चुनावी बॉन्ड स्कीम के खिलाफ दायर याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा है कि सभी दल 30 मई तक चंदे की जानकारी सीलबंद लिफाफे में चुनाव आयोग को दें। इससे पहले चुनावी बॉन्ड की वैधता को चुनौती देने वाली एनजीओ की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। केंद्र सरकार ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को नीतिगत फैसला बताते हुए कहा था कि इसमें कुछ गलत नहीं है। इस कदम को काले धन पर अंकुश लगाने वाला और पारदर्शिता को बेहतर करने वाला बताया था। सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट से यह भी मांग की कि इस स्कीम पर लोकसभा चुनाव के बाद परीक्षण किया जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता संगठन एडीआर ने चुनावी बॉन्ड की वैधता को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता संगठन का कहना है कि चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए यह जानना जरूरी है कि इसके जरिये राजनीतिक दलों को चंदा कौन दे रहा है। संगठन के वकील का कहना था कि इनमें से ज्यादातर चंदा सत्तारूढ़ दल के पक्ष में गया है।