रुद्रप्रयाग: सतेराखाल के स्यूपुरी गांव में एक बार फिर प्राचीन पाण्डुलिपियां व तत्कालीन राजस्व व्यवस्था से जुडे दस्तावेज मिले हैं। करीब दो-ढाई सौ साल पूर्व के बताये जा रहे इन दस्तावेजों की लिपि पठनीय नहीं है, जिसके कारण इन पाण्डुलिपियों की भाषा अभी समझ में नहीं आ रही है। गांव के कोठा भवन में मिली ये पाण्डुलिपियां भोजपत्रों पर भी खुदी हुई हैं साथ ही यहां से कई पौराणिक बर्तन व हथियार भी मिले हैं।
स्यूपुरी के बिजरोणा तोक में पिछले दिनों स्व0ठाकुर धनसिंह बत्र्वाल के पुस्तैनी घर से भगवान बद्रीनारयण की दुर्लब आरती संग्रह प्राप्त हुई थी जिससे साबित हो चुका है बद्रीनारायण की पवनमंद सुगन्ध शीतल आरती स्व0 धनसिंह बत्र्वाल द्वारा ही लिखी गयी है। अब गांव के ही कोठा तोक में सत्येन्द्र पाल सिंह बत्र्वाल व धीरेन्द्र बत्र्वाल के पुस्तैनी घर से कई पुराने दस्तावेज प्राप्त हुए हैं इनमें से कई तो पाण्डुलिपिया है और कई दस्तावेज तत्कालीन भू राजस्व से जुडे हुए अभिलेख हैं जिनमें तत्कालीन रेवन्यू टिकट व स्टाम्प भी हैं। यही नहीं तत्कालीन समय में शैक्षिक उन्नयन के लिए किये गये कार्यों के प्रतिस्वरुप दुर्लब किताबें भी प्राप्त हुई हैं।
दस्तावेजो में अंकित सम्वत के अनुसार ये 1722 व 1802 संवत से जुडे हैं यही नहीं यहां पर कई पौराणिक सामाग्रियां भी प्राप्त हुई हैं जिनमें तत्कालीन बर्तन, कटार, तलवार के साथ सामाग्री हैं जिनमें से कई सामाग्री खराब भी हो रही है।
गोपेश्वर महाविद्यालय में इतिहास के प्रोपेसर डा0 शिवचन्द सिंह रावत का कहना है कि प्राप्त दस्तावेजों में ज्यादातर अभिलेख तत्कालीन भू-राजस्व व्यवस्था से जुडे हुए हैं साथ ही कई दस्तावेज शैक्षणिक व्यवस्था से जुडे हुए हैं और कुछ पाण्डुलिपियां तत्कालीन स्तुतियां हैं किन्तु लिपि की भाषा कुछ क्लिष्ट है तो ऐसे में स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है कि इन लिपियों में आखिर क्या कुछ है मगर लिपि पडने के जानकार इनको देखते हैं तो इतिहास से जुडे कुछ तथ्य जरुर सामने आ सकते हैं।
वर्षों पूर्व के इन दस्तावेजों व पाण्डुलिपियों का पुरातत्व विभाग व धर्मस्व विभाग गहनता से अध्ययन करता है तो कहीं ना कही इतिहास से जुडे कई तथ्यों से पर्दा उठ पायेगा। और तत्कालीन समय की सामंतशाही व्यवस्था से जुडे राज जनता के सामने आयेंगे।