रुद्रप्रयाग: जिले के केदारघाटी व तुंगनाथ घाटी के बडे क्षेत्रों को ईको सेन्सटिव जोन घोषित किये जाने की तैयारी चल रही है। जिस पर एक बार फिर से स्थानीय लोगों से आपत्तियां मांगी गयी हैं। वर्ष 2016-17 में भारत सरकार के वन एंव पर्यावरण मंत्रालय ने जनपद के उच्च हिमालयी क्षेत्रों को जोन में सम्मिलित करने की अधिसूचना जारी की थी, जिस पर स्थानीय जनता व जनप्रतिनिधियों ने काफी विरोध करते हुए आपत्तियां दर्ज की थी और अब एक बार फिर से मन्त्रालय ने सेन्सटिव जोन घोषित किये जाने को लेकर स्थानीय आप्पतियों को मांगा है।
जिले के प्रमुख पर्यटक स्थल चोपता, देवरियाताल के साथ ही चमोली जनपद का एक बडा हिस्सा ईको सेन्सटिव जोन की परिधि में आयेगा। यहां जोन घोषित होता है तो पर्यटक स्थलों का अपेक्षाकृत विकास ठप्प हो जायेगा और इन क्षेत्रों में वर्षों से रह रहे लोगों के हक हकूकों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पडेगा। जिले की मद्दमहेश्वर घाटी के गोण्डार, मनणा देवी, गडगू, चिलौण्ड, त्रियुगीनारायण के तोषी, चोपता के बनियांकुण्ड, दुगलबिट्टा, चोपता तुंगनाथ व कार्तिक स्वामी क्षेत्र के गांव अभी सेन्चुरी क्षेत्र के रुप में है, जिसके चलते इन क्षेत्रों में ना तो समुचित नागरिक सुविधाएं जुट पायी हैं और ना ही यहां का अपेक्षाकृत विकास हो पाया है। अब एक बार फिर से ईको सेन्सटिव जोन को घोषित किये जाने को लेकर आपत्तियां दर्ज करवाने का दौर शुरु हो गया है।