हल्द्वानी: आरटीआई एक्टिविस्ट एवं समाजसेवी हेमंत गोनिया ने रोडवेज के मामले में सूचना का अधिकार लेते हुए एक बड़ा खुलासा किया है, जिसमें करोड़ों रुपए का पार्किंग शुल्क वसूलने के बाद भी हल्द्वानी रोडवेज बस स्टेशन की दशा नहीं सुधरने का मामला प्रकाश में आया है। बताते चलें कि हेमंत गोनिया ने उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों से आने वाली बसों से लिए जाने वाले पार्किंग शुल्क के संबंध में उत्तराखंड रोडवेज से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी, जिसमें खुलासा हुआ कि बीते 5 सालों में उत्तराखंड रोडवेज करोड़ों रुपया पार्किंग शुल्क वसूल कर चुका है मगर यहां अभी तक उचित पार्किंग व्यवस्था नहीं होने से शहरवासियों को जाम के झाम में फसने को मजबूर होना पड़ता है, और तो और त्योहारी सीजन में यह समस्या सातवें आसमान पर पहुंच जाती है और वाहन रेंग-रेंग कर चलते हैं।
इसके अलावा पैदल राहगीरों को भी काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, मगर रोडवेज की बद इंतजामी और करोड़ों रुपया पार्किंग शुल्क वसूलने के बाद भी हालात जस के तस हैं। सूचना के अधिकार से मिली जानकारी में रोडवेज प्रबंधन भी यह मान रहा है कि, उत्तर प्रदेश एवं अन्य राज्यों से वर्तमान में लगभग 90 से 95 गाड़ियां प्रतिदिन हल्द्वानी बस अड्डे में प्रवेश करती हैं ,मगर यहां जगह कम होने के कारण गाड़ियां पार्क नहीं होती हैं गाड़ियां आती हैं और कुछ देर बाद वापस चली जाती हैं। बताया कि जिन गाड़ियों का वापसी समय 1 घंटे से कम होता है उनसे पार्किंग/प्रवेश शुल्क के नाम पर 118 रूपये तथा जो गाड़ियां रात में रूकती हैं उनसे 236 रूपये शुल्क के रूप में वसूला जाता है इसके अलावा कुछ वाहन ऐसे भी हैं जिनसे 472 रूपये लिया जाता है।
जैसे कि कैसरबाग डिपो, जयपुर डिपो की बसों से 472 रूपये लिया जाता है क्योंकि उत्तराखंड की बसों से भी उनके डिपो में पार्किंग शुल्क के एवज में इतना ही रुपया लिया जाता है। बीते 5 वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2014 में 27 लाख 48 हजार 151 रुपया उत्तराखंड रोडवेज प्रबंधन ने पार्किंग/प्रवेश शुल्क के नाम पर वसूल किया, वर्ष 2015 में 35 लाख 24 हजार 70 रुपया वसूल किया गया, वर्ष 2016 में 43 लाख 81 हजार 735 रुपया, वर्ष 2017 में 51 लाख 25 हजार 300 रुपया और 2018 में 43 लाख उन 49 हजार 70 रुपया वसूल किया गया। 5 साल के कुल आंकड़ों की बात करें तो उत्तराखंड रोडवेज प्रबंधन ने हल्द्वानी रोडवेज बस अड्डे से पार्किंग/प्रवेश शुल्क के नाम पर 2 करोड़ 1 लाख 28 हजार 326 रुपया वसूल किया गया।