हल्द्वानी: क्या आप सोच सकते हैं कि गांव वाले करीब 11 करोड़ का पानी मुफ्त में गटक गए होंगे। 10 करोड़ रुपये सुनकर एक बार आप जरूर चौंक जाएंगे कि कैसे कोई गांव वाले 10 करोड़ का पानी मुफ्त में पी सकते हैं। लेकिन, यह पूरी तरह सच है। इसका खुलासा आरटीआई में हुआ है। जल संस्थान के आरटीआई का जवाब सार्वजनिक होने के बाद अब विभाग पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं।
हल्द्वानी जल संस्थान ने हेमंत गौनिया को आरटीआई में जवाब दिया है कि हल्द्वानी के ग्रामीण इलाकों के लोग पानी का प्रयोग तो खूब कर रहे हैं, लेकिन बिल देने में कंजूसी दिखा रहे हैं। आरटीआई में दिए जवाब में जल संस्थान ने बताया है कि हल्द्वानी के गौलापार से लेकर शहर से लगे ग्रामीण इलाकों में (जिनमें से ज्यादातर अब नगर निगम में शामिल हो चुके हैं) के ग्रामीणों ने पानी का बकाया बिलों का भुगतान नहीं किया है।
जल संस्थान की मानें तो हर साल पानी के बिलों के बकाया भुगतान के लिए अभियान चलाया जाता है। कुछ वसूली होती है और कुछ रह जाता है। लोगों को नोटिस भी दिया जाता है। आरसी भी काटी जाती है। कई लोगों के कनेक्शन भी काटे जा चुके हैं। इसके बावजूद लोगों ने बिलों का भुगतान नहीं किया, जो बढ़ता चला गया।
वर्तमान में जल संस्थान का लोगों पर 10 करोड़ 73 लाख 45 हजार 423 रुपये का बकाया है। जल संस्थान दावे तो कर रहा है, लेकिन जिस तरह से लोगों का बिल बकाया है, उससे आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जल संस्थान ने वसूली में सख्ती नहीं दिखाई। कनेक्शन काटे जाने की बात भी हवाई नजर आती है। प्रशासनिक अधिकारी गिरधर बिष्ट की मानें तो अब सख्ती से वसूली अभियान चलाया जाएगा। बिल का भुगतान नहीं करने वालों के कनेक्शन काट दिए जाएंगे।