रामनगर: पांच साल में सरकार बदल जाती है। सरकार चाहे प्रदेश की हो या निकायों की सरकारें। 2013 में रामनगर में नगर निकाय के दौरान शिक्षक जगदीश चंद्र की मौत हो गई थी। निर्वाचन आयोग के नियमानुसार मृतक कर्मी के परिवार को 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि का भुगतान किया जाना था। आदेश भी किए गए। पत्राचार भी हुआ, लेकिन आज तक मृतक शिक्षक के परिवार को 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि नहीं मिल पाई। मृतक की पत्नी पूजा देवी कई बार गुहार लगा चुकी है, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।
पूजा देवी के लिए 10 लाख रुपये काफी मायने रखते हैं। पति की मौत के बाद दो बच्चों का पालन-पोषण करना आसान नहीं होता। 10 लाख उनके बच्चों के भविष्य को कुछ हद तक सुरक्षित कर सकते थे, लेकिन उसके लिए कई बार निर्वाचन आयोग और नेताओं की चौखट पर जाने के बाद भी उनको मिलने वाली अनुग्रह राशि नहीं मिली। पूजा बच्चों को लेकर चिंतित है। उनका कहना है कि 10 लाख मिलने से उनको सहारा मिलता। बच्चों के लिए कुछ कर सकती थीं। हर तरफ से प्रयास किए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
आरटीआई एक्टिविस्ट हेमंत ने आरटीआई में सूचनाएं मांगी हैं। उनसे पता चला कि 10 लाख के भुगतान के आदेश भी हो चुके थे, लेकिन पांच साल से उस आदेश का अनुपालन नहीं हो पाया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है। कि निर्वाचन आयोग जैसी संवैधानिक संस्था में काम पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ऐसे की कुछ दूसरे मामले भी हैं, जिनको मुआवजे का इंतजार है।