नैनीताल: रीवर राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग व अन्य जल खेलों के लिए उचित नियम बनाये जाने के पूर्व में कोर्ट के आदेशों के बाद सरकार ने हाईकोर्ट की खंडपीठ में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। सुनवाई के बाद सरकार ने अपनी इस पुनर्विचार याचिका को वापस ले लिया।
सरकार ने दायर पुनर्विचार याचिका में कहा था कि उन्होंने राफ्टिंग के लिये 2014 में नियम बनाये हैं और पैराग्लाइडिंग के संबंध में नियम नही बने हैं। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने इसका विरोध करते हुए कोर्ट को अवगत कराया कि जो नियम 2014 में सरकार ने बनाये थे उनका सरकार ने नोटिफिकेशन ही नही किया, इसलिए राफ्टिंग व पैराग्लाइडिंग नियम के संबंध में अभी कोई नियम नही बने हैं।
न्यायमूर्ति राजीव शर्मा एवं न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार देहरादून रोड ऋषिकेश निवासी हरिओम कश्यप ने हाईकार्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि सरकार ने 2014 में भगवती काला व विरेंद्र सिंह गुसाई को राफ्टिंग कैंप लगाने के लिए कुछ शर्तों के साथ लाइसेंस दिया था। याचिका में विपक्षीगणों की ओर से शर्तों का उल्लंघन करते हुए राफ्टिंग के नाम पर गंगा नदी के किनारे कैंप लगाने शुरू कर दिया और उस कैंप में गंगा के किनारे असमाजिक कार्य किए जाने लगे। गंगा नदी के किनारे उनके द्वारा इसकी आड में मीट, दारू का सेवन, डीजे बजाना, बाथरूम का मुहाना नदी में खोला गया, कूडा इत्यादि नदी में बह रहा था। याचिकाकर्ता ने इस संबंध में कुछ फोटोग्राफ याचिका में लगाए थे। पूर्व में कोर्ट ने सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सरकार को आदेश दिए कि, वे नदी के किनारे रिजनेबल फीस चार्ज किए बिना लाइसेंस जारी नहीं कर सकती तथा खेल गतिविधियों के नाम पर अय्याशी करने की स्वीकृति नहीं दे सकती। कोर्ट ने कहा कि सरकार की ओर से राफ्टिंग कैंप को नदी किनारे स्वीकृति दी गई है, जिससे नदियां व पर्यावरण दूषित हो रहा है और राफ्टिंग के नाम पर लांचिक पाइंट पर ट्रेफिकिंग जाम की स्थिति बन रही है। इस प्रकार की गतिविधियों की स्वीकृति नहीं देनी चाहिए तथा राफ्टों को मानव शक्ति द्वारा ले जाया जाए न कि गाडियों द्वारा। कोर्ट ने सरकार को रीवर राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग तथा अन्य जल खेलों के लिए उचित कानून बनाए जाने के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि जब तक कानून नहीं बनता तब तक रीवर राफ्टिंग व पैराग्लाइडिंग पर रोक रहेगी। इस आदेश के बाद सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष सरकार की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका को सरकार ने वापस ले लिया।