देहरादून: सरकारी योजना का लाभ दिलाने के नाम पर उत्तरकाशी के पुरोला तहसील कार्यालय में रिश्वत लेते रंगे हाथ लेखपाल को विजिलेंस ट्रैप टीम ने धरा है। उक्त लेखपाल को विशेष न्यायाधीश विजिलेंस आरके खुल्बे की अदालत ने तीन साल कैद की सजा सुनाई है। अदालत ने उस पर पांच हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। अर्थदण्ड अदा न करने पर उसे एक माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
मामले के अनुसार, शिकायतकर्ता बसराज सिंह द्वारा सतर्कता अधिष्ठान देहरादून में इस आश्य का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया था कि, मई 2007 को उनकी पत्नी पार्वती का आकस्मिक निधन हो गया। शिकायतकर्ता गरीब व्यक्ति होने के नाते समाज कल्याण विभाग की राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना से आर्थिक सहायता अनुदान लेने के लिए समाज कल्याण से फार्म लेकर व आवश्यक कागजात लेकर लेखपाल मेहर गांव पुरोला भगत सिंह रावत के पास गया तो, भगत सिंह रावत ने कागजात अपने पास रखकर कहा कि, तेरा प्रमाण पत्र प्रमाणित करने के एवज में दो हजार खर्चा लगेगा।
काफी खुशामत करने पर लेखपाल एक हजार की रिश्वत पर राजी हो गया। 3 अगस्त 2007 को लेखपाल ने शिकायतकर्ता को एक हजार रूपये लेकर अपने दफतर पुरोला बाजार में बुलाया। शिकायतकर्ता बसराज सिंह की शिकायत पर पुलिस अधीक्षक सतर्कता अधिष्ठान सैक्टर देहरादून द्वारा निरीक्षक महेन्द्र सिंह को जांच हेतु नियुक्त किया, जिसमें जांच सही पाते हुए निरीक्षक महेन्द्र सिंह के नेतृत्व में 3 अगस्त 2007 को आरोपी भगत सिंह रावत (लेखपाल) पुत्र हुकम सिंह रावत ग्राम किशना पोस्ट बड़कोट जिला उत्तरकाशी हाल लेखपाल मेहर गांव तहसील पुरोला उत्तरकाशी को उनके ऑफिस में एक हजार रिश्वत लेते हुए रगें हाथों गिरफ्तार किया गया।
उपरोक्त सम्बन्ध में अभियुक्त के विरूद्व अन्तर्गत धारा 7/13(1) डी सपठित धारा 13 (2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 न्यायालय में आरोप पत्र प्रेषित किया गया।
न्यायालय द्वारा विचारण उपरान्त अभियुक्त भगत सिंह रावत को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 के आरोप में दोषी पाते हुए विशेष न्यायाधीश सतर्कता देहरादून आरके खुलवे ने तीन वर्ष के सश्रम कारावास व 5000 अर्थदण्ड से दण्डित किया एवं धारा 13 (1) डी सपठित धारा 13 (2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के अधीन दोषी पाते हुए 3 वर्ष का सश्रम कारावास व 5000 का अर्थदण्ड से दण्डित किया।