नई दिल्ली: गाम्बिया दौरे से लौटने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को तीन तलाक (मुस्लिम महिला-विवाह अधिकार संरक्षण) बिल पर हस्ताक्षर कर दिए। लोकसभा और राज्यसभा में पास होने के बाद यह सभी विधेयक राष्ट्रपति के पास भेजा गया। तीन तलाक बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल चुकी है।
तीन तलाक कानून के तहत अब तीन तलाक देने के दोषी पुरुष को 3 साल की सजा सुनाई जा सकेगी। पीड़ित महिलाएं अपने और नाबालिग बच्चों के लिए गुजारे-भत्ते की मांग कर सकेंगी। इससे पहले मंगलवार को राज्यसभा में यह विधेयक पास हुआ था। राज्यसभा में वोटिंग के दौरान बिल के पक्ष में 99 और विरोध में 84 वोट पड़े। बिल 25 जुलाई को लोकसभा से पास हो चुका था।
तीन तलाक देने पर ये है सजा का प्रावधान-
-नए कानून के अनुसार मौखिक, लिखित या किसी अन्य माध्यम से पति अगर एक बार में अपनी पत्नी को तीन तलाक देता है तो वह अपराध की श्रेणी में आएगा।
-अब तीन तलाक देने पर पत्नी स्वयं या उसके करीबी रिश्तेदार ही इसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा सकेंगे।
-महिला अधिकार संरक्षण कानून,2019 के तहत पुलिस बिना वारंट के तीन तलाक देने वाले आरोपित को गिरफ्तार कर सकती है।
-एक समय में तीन तलाक देने पर पति को तीन साल तक कैद और जुर्माना दोनों हो सकता है। सिर्फ मजिस्ट्रेट कोर्ट से ही उसे जमानत मिलेगी।
-साथ ही मजिस्ट्रेट पीड़ित महिला का पक्ष सुने बगैर तीन तलाक देने वाले पति को जमानत नहीं दे पाएंगे।
-तीन तलाक देने पर पत्नी और बच्चे के भरण पोषण का खर्च मजिस्ट्रेट तय करेंगे, जो पति को देना होगा।
-तीन तलाक पर बने कानून में छोटे बच्चों की निगरानी और रखावाली की जिम्मेदारी मां के पास ही रहेगी।
-नए कानून में समझौते के विकल्प को भी रखा गया है, हालांकि पत्नी के पहल पर ही समझौता हो सकता है लेकिन मजिस्ट्रेट की ओर से उचित शर्तों के साथ।