रानीखेत: रानीखेत के नजदीकी क्षेत्र के कालिका मंदिर में शारदीय नौरात्र में पूजा अर्चना करने आ रहे भक्तों की भीड़ रही। बता दें कि यहां पर शिव व दुर्गा का मंदिर भी नया निर्माण हो चुका है। अष्टमी के दिन महिला भक्तों ने यंहा पूजा की। गौरतलब है कि यह मंदिर काफी पुराना है। बंगाली सीजन में यंहा बंगाली भक्त जन भी काफी आते हैं। यंहा के महन्त पशुपतिनाथ के अनुसार यह मंदिर कई सौ साल पुराना हैं।
रानीखेत का प्रसिद्ध झूला देबी मंदिर घंटी वाला मंदिर भी कहलाता है। यंहा पर कई हजार घंटिया भक्तों द्वारा चढ़ाई गई हैं। मान्यता पूरी होने पर यंहा भक्त जन घंटी चढ़ाते हैं। कहा जाता है कि यंहा रात्री के समय माता के दर्शन करने शेर आता हैं। साथ ही पास के गांव पिलखोली में हिसंक जानवर पालतू जानवरों को मार देते थे। किसी को माता ने स्वपन में दर्शन देकर कहां मेरी यंहा प्रतिमा है। इसे निकाल कर इसकी पूजा करो। सब ठीक हो जायेगा। बता दें कि जब रानीखेत भी नही बसा था। तब ही इस मंदिर का निर्माण हो गया था। यहां आने वाले अमुमन भक्तों की मन्नतें पूर्ण होती है। माता के इस मंदिर में घंटी चढ़ाने का बड़ा महत्व है। यंहा लोग श्रद्धानुसार भण्डारा भी करते हैं।