देहरादून: बी.आर.ओ. (सीमा सड़क संगठन) द्वारा राज्य की सड़को के निर्माण में नई तकनीक के प्रयोग से पर्यावरणीय हानि को कम से कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके साथ ही वृक्षारोपण व पर्यावरण सरंक्षण पर विशेष बल दिया जा रहा है। सड़कों के निर्माण में अवशेष सामग्री (सड़को के कटान के दौरान होने वाला मलबा आदि) को प्राथमिकता के साथ पुनःप्रयोग किया जा रहा है। बी.आर.ओ. द्वारा सड़को के निर्माण के दौरान पर्यावरणीय मानकों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। भारतमाला परियोजना के तहत राज्य में 18 हजार करोड़ की लागत से चीन की सीमाओं तक कनेक्टिीविटी हेतु मंजूरी मिलने के बाद इस दिशा में कार्य किया जा रहा है।
भारतमाला परियोजना के तहत बैजनाथ-थराली-कर्णप्रयाग मार्ग, अस्कोट-धारचूला-मालपा-लिपुलेख मार्ग, बैजनाथ -बागेश्वर -कपकोट -मुनस्यारी -सेराघाट-जौलजीवी मार्ग, माना-मूसा पानी-माणा पास तथा जोशीमठ-मलारी मार्ग सम्मिलित है। सीमा सड़क संगठन ने राज्य में सड़कों के निर्माण हेतु फॉरेस्ट क्लियरेन्स, भूमि-अधिग्रहण, व सम्बन्धित विषयों हेतु शीघ्रता से अनुमोदन व सकारात्मक सहयोग हेतु सरकार व प्रशासन का आभार प्रकट किया। सोमवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से सीमा सड़क संगठन के महानिदेशक ले.जनरल हरपाल सिंह ने राज्य के सीमान्त सड़को के निर्माण से जुड़े विभिन्न बिन्दुओं पर विस्तृत चर्चा की।
चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने हरिद्वार रोड़ पर सीमा सड़क संगठन के प्रोजेक्ट मुख्यालय हेतु अतिरिक्त 20 एकड़ भूमि की अनुरोध पर गम्भीरता से विचार करने का आश्वासन दिया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने बी.आर.ओ. के भूमि अधिग्रहण, फॉरेस्ट क्लियरेन्स व अन्य मामलों के शीघ्र से शीघ्र निपटाने हेतु निर्देश दिए। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा राज्य के सीमान्त क्षेत्रों व गांवो में रोड कनेक्टिीविटी सामरिक दृष्टि से अत्यन्त संवेदनशील व महत्वपूर्ण है। सेना को भी सीमान्त ग्रामीणों से सामरिक व देश की सुरक्षा से सम्बन्धित महत्वपूर्ण सूचनाएं प्राप्त होती है। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा सीमा सड़क संगठन के साथ हर संभव सहयोग की बात कही।