देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राज्य की आय के संसाधनों को बढ़ाने के लिए दीर्घकालीन योजना बनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि रेवेन्यू प्राप्ति की सम्भावना वाले क्षेत्रों को चिन्हित कर, उन पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाए। कर चोरी को रोकने के लिए एनफोर्समेंट को मजबूत किया जाए। समस्त फाईनेंसियल सिस्टम को ऑनलाईन किया जाए। कर्मचारियों व अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए वित्त व कार्मिक विभाग द्वारा संयुक्त रूप से एक प्रकोष्ठ बनाया जाए। मुख्यमंत्री, सचिवालय में वित्त व नियोजन विभाग की सीएम डेशबोर्ड ‘उत्कर्ष’ में केपीआई के आधार पर समीक्षा कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि योजनाओं की समीक्षा, आउटकम आधारित हो। फंड की पार्किंग न हो। मार्च माह में खर्च करने की प्रवृत्ति को रोका जाए। टाईम ओवर रन व कोस्ट ओवर रन को रोकने के लिए योजनाओं को समय पर पूरा किया जाए। टैक्स व जीडीपी के अनुपात को बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। इसके लिए इस तरह की योजना बनाई जाए कि आम जनता पर बिना बोझ डाले राज्य की आय को बढ़ाया जा सके। टैक्स सिस्टम में व्याप्त छिद्रों को बंद करने पर फोकस किया जाए। पिछले कुछ समय में इसमें अच्छा काम किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जमीन संबंधी धोखाधड़ी को रोकने के लिए रजिस्ट्री के समय ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। हाई वैल्यु स्पॉट का निरीक्षण सुनिश्चित किया जाए। संबंधित अधिकारियों की जिम्मेवारी तय की जाए। फर्मों व सोसायटियों के रजिस्ट्रीकरण या नवीनीकरण के समय आपत्तियां एक बार में ही बता दी जाएं। राज्य सरकार की सभी योजनाओं को यथासम्भव डीबीटी पर लाया जाए।
बैठक में सचिव अमित नेगी ने बताया कि इस वर्ष अपै्रल से अगस्त की अवधि में जीएसटी व वैट संग्रहण 4415 करोड़ रूपए रहा और एनफोर्समेंट की संख्या 373122 रही। जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में जीएसटी व वैट संग्रहण 3697 करोड़ रूपए रहा था और एनफोर्समेंट की संख्या 276881 थी। स्टाम्प रेवेन्यू कलैक्शन इस वर्ष अपै्रल से अगस्त की अवधि में 466 करोड़ रूपए थी व पिछले वर्ष इसी अवधि में 446 करोड़ रूपए थी।
उत्तराखण्ड डीबीटी को लागू करने वाले अग्रणी राज्यों में है। राज्य के डीबीटी पोर्टल को डीबीटी भारत पोर्टल से जोड़ा गया है। 108 केंद्र प्रवर्तीत स्किम के साथ 114 राज्य की स्किमों को भी डीबीटी भारत पोर्टल पर ऑन बोर्ड किया गया है। ऑनलाईन ऑडिट की व्यवस्था लागू की गई है। फर्मो व सोसायटियों के रजिस्ट्रीकरण व नवीनीकरण को भी ऑनलाईन किया गया है। 1659 जीउसटी मित्रों को प्रशिक्षित किया गया है। ट्रेजरी, बजटिंग व अकाउंटिंग का समन्वित सिस्टम बनाया गया है। इसे पेपरलैस बना दिया गया है। उत्तराखण्ड पहला राज्य होगा जहां कि जीआईएस आधारित सर्किल रेट सिस्टम बनाया जा रहा है।
नियोजन विभाग की समीक्षा के दौरान सचिव अमित नेगी ने बताया कि बाहय सहायतित योजनाओं पर फोकस किया जा रहा है। एडीबी सहायतित नगर सेक्टर अवस्थापना विकास परियोजना, उत्तराखण्ड विद्युत पारेषण सुदृढ़ीकरण एवं वितरण उन्नयन कार्यक्रम, विश्व बैंक पोषित उत्तराखण्ड आपदा पुनर्निर्माण परियोजना, उत्तराखण्ड लोक वित्तीय प्रबंधन सुदृढ़ीकरण परियोजना व केएफडब्ल्यु पोषित हरिद्वार व ऋषिकेश की सीवरेज परियोजना अनुमोदित कर दी गई हैं। जबकि विश्व बैंक पोषित उत्तराखण्ड एकीकृत औद्योनिकी विकास परियोजना, उत्तराखण्ड नगरीय पेयजल परियोजना, एआईआईबी पोषित ऋषिकेश एकीकृत नगर अवस्थापना विकास परियोजना, 16 द्वितीयक नगरों में अवस्थापना विकास, उत्तराखण्ड जल प्रबंधन परियोजना आदि योजनाओं की सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है। इसी प्रकार पं0दीनदयाल उपाध्याय एकीकृत भूकम्प सुरक्षा परियोजना, सौंग बांध परियोजना, जमरानी परियोजना व एआईआईबी पोषित डेवलपमेंट ऑफ बेस्ट इन क्लास ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर इन देहरादून एंड मसूरी परियोजनाएं पाईपलाईन में हैं।
बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव राधिका झा, सौजन्या व अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।