बागेश्वर: ऐतिहासिक उत्तरायणी मेले के अवसर पर सरयू बगड़ में राजनीतिक पंडाल सजे। 1921 में कुली बेगार आंदोलन के बाद से ही सरयू बगड़ में राजनीतिक पंडाल सजते आए हैं। इन पंडालों से राजनीतिक दल लोगों के बीच अपनी बात रखते आए हैं। सत्ताधारी दल जहां सरकार की खूबियां गिनाते दिखे तो वहीं विपक्ष ने सरकार की खामियों को जनता के बीच रखते आए हैं। इस बार सजे राजनीतिक पंडालों में भाजपा, कांग्रेस, यूकेडी और बसपा के नेताओं ने अपनी बात रखी। आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक पंडालों में भी चुनावी रंग देखने को मिला। सभी के सुर बदले बदले से दिखे, सभी दलों ने एक-दूसरे पर जमकर कटाक्ष किए।
भाजपा की ओर से राजनीतिक पंडाल में मुख्य वक्ता केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री अजय टम्टा रहे। उन्होंने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कांग्रेस को झूठ बोलने वाली पार्टी करार दिया। राफेल मुद्दे पर जबरन राजनीति करने का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार और राज्य सरकार की उपलब्धियां भी गिनाई।
कांग्रेस के पंडाल में रणजीत सिंह ने मोर्चा संभालते हुए भाजपा के साथ ही केंद्र और राज्य सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने राफेल मामले में केंद्र सरकार पर निशाना साधा। राज्य सरकार को हर मोर्चे पर विफल बताया। साथ ही ज़ीरो टोलरेन्स को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा।
वहीँ उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय नेता ने बीजेपी व कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा, राज्य बनने के इतने साल बाद आज भी जमीनी मुद्दे जिवंत है। शिक्षा, पलायन, बेरोजगारी, स्वास्थ्य आदि की व्यवस्था आज भी बदहाल है। साथ ही कहा कि, भाजपा सरकार ने जनता को लूटने का कार्य किया है, जिसका जवाब जनता आगामी लोकसभा चुनावो में जरूर देगी। सबसे गंभीर सवाल राज्य की स्थाई राजधानी आज भी गैरसैण नहीं बन पाई।
सरयू बगड़ में लगने वाले राजनीतिक पंडालों का ऐतिहासिक महत्व रहा है। पहले जहां इसे नेता और जनता के बीच सीधा संवाद करने और विकास का खाका तैयार का मंच माना जाता था। वहीं अब राजनीतिक दल अपनी खूबियों और दूसरे दलों की खामियों को गिनाने के साथ ही मंच से एक-दूसरे पर कटाक्ष भी करते देखे जाते हैं। पहले इन भाषणों में कुंमाउनी भाषा का इस्मातेल होता था। वहीँ अब हिंदी में संवाद के साथ ही विकास की बातें भी कहीं दबकर रह जाती हैं।