बागेश्वर: ब्रिटिश काल से प्रस्तावित बागेश्व- टनकपुर रेल लाईन राष्ट्रीय योजना में शामिल होने के बाद भी केन्द्र सरकार द्वारा अभी तक बागेश्वर टनकपुर रेल लाईन के लिए बजट आवंटन नही किया गया है। यह कहना है बागेश्वर टनकपुर रेल निर्माण संघर्ष समिति का। जिसको लेकर समिति विगत 14सालो से रेल निर्माण के लिए विभिन्न बार बागेश्वर और दिल्ली जंतर-मंतर मैदान तक आन्दोलन कर चुकी है। आज भी रेल निर्माण संर्घष समिति अपनी एक सूत्रीय मांग को लेकर आन्दोलनरत है। वहीँ उन्होंने आरोप लगाये कि, राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर रेल लाईन के सर्वे की बात करना भाजपा का राजनैतिक स्टंट है। इस पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए रेल आंदोलनकारियों ने केंद्र व राज्य सरकार के ख़िलाफ़ जमकर नारेबाज़ी की।
रेल संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि, आजादी से पहले अंग्रेजों ने बागेश्वर-टनकपुर रेल लाइन में 1882 में प्रस्तावित किया। 1912 में रेल लाइन की पहली सर्वे हुई। अंग्रेजों ने टनकपुर से कुछ किमी रेल लाइन बिछा भी दी थी। देश आजाद हो गया, लेकिन आजादी के 72 साल बाद भी किसी भी राजनीतिक दल ने प्रस्तावित रेल लाइन की सुध आज तक नहीं ली। लंबे संघर्ष और आंदोलन के बाद 2006 में भारत सरकार ने रेल लाइन के पहली सर्वे की। 2009, 2010 और 2011 में पुन: सर्वे हुई। यूपीए सरकार ने रेल लाइन को राष्ट्रीय परियोजना में शामिल किया। तबसे ये रेल परियोजना ठन्डे बस्ते में है। लेकिन अभी तक न रेल लाइन का निर्माण हो सका, न कोई बजट पास हुआ। यहाँ की जनता अपने को ठगा सा महसूस कर रही है। 2014 लोकसभा चुनावों के समय यहाँ की जनता से रेल लाइन लाने का वादा भाजपा के टिकट से चुनाव लड़े और जीते भी, वर्तमान सांसद अजय टम्टा द्वारा किया गया चार साल बीत गए लेकिन रेल लाईन निर्माण बागेश्वर से टनकपुर तक दूर-दूर तक नहीं दिख रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव निकट हैं इसमें अब इनको हमारी याद आना लाजमी है।
वहीँ भाजपा के गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी पर निशाना साधते हुए सांसद प्रदीप टम्टा ने कहा बलूनी अँधेरे में तीर चला रहे है। किस सर्वे की बात कर रहे है। जब यह परियोजना हमारी सरकार ने राष्ट्रीय प्रोजेक्ट में रखी थी, पूर्व में कई सर्वे हो चुके है। यह भाजपा का केवल लोकसभा चुनावी स्टंट है। अगर केंद्र की भाजपा सरकार को अगर कार्य करना ही है तो टनकपुर बागेश्वर रेल लाईन के निर्माण के लिए धन आवंटन करवा कर दिखाए।
रेल निर्माण संघर्ष समिति पिछले कई सालों से यहाँ जनपद मुख्यालय में लगातार आंदोलन करते आ रही है। कई सरकारे आई और गई, हर किसी नेता ने इनको विश्वास दिलाया, इस साल बजट मिलेगा वो दिन आज तक नहीं आया। अब ऐसे में लोकसभा चुनावो का समय आ गया। नेता फ़िर इन्हे ठगने लगे।