नई दिल्ली: राफेल लड़ाकू करार को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस के बीच सियासी जंग अब और तेज हो गई है। कांग्रेस राफेल डील में घोटाले के आरोप में लगातार बीजेपी पर हमलावर है। इसी कड़ी में कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को फिर से इस मामले में जांच की मांग की और कैग के दफ्तर पहुंचा। इस प्रतिनिधिमंडल में रणदीप सुरजेवाला, आनंद शर्मा, अशोक गहलोत, मोतीलाल वोहरा, जयराम रमेश, अहमद पटेल, राजीव शुक्ला, मुकुल वासनिक शामिल थे।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि हमने सीएजी से मुलाकात की। उन्हें राफेल सौदे में अनियमितताओं के बारे में आगाह किया। उन्होंने बताया कि एक विमान की कीमत 520 करोड़ रुपये जो यूपीए सरकार में तय की गई थी। उस डील को मोदी सरकार ने बदल दिया, और अब उसी विमान को केंद्र सरकार 1600 करोड़ में खरीद रही है और 126 विमानों की जगह सिर्फ 36 विमान का ही सौदा किया है।”
सुरजेवाला ने कहा कि हमने सीएजी के सामने यह बात रखी कि पीएम मोदी के फ्रांस दौरे से ठीक 12 दिन पहले रिलायंस द्वारा एक कंपनी बनाई गई और उसे राफेल सौदा दे दिया गया।
इससे पहले वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एके एंटनी ने मंगलवार को रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण पर आरोप लगाया कि वह राफेल डील के मुद्दे पर तथ्यों को छिपा रही हैं। पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने संप्रग से कम कीमत पर राफेल विमान खरीदने के सरकार के दावों को खारिज करते हुए कहा कि अगर यह सच है तो सरकार कीमत का खुलासा क्यों नहीं कर रही। सौदे की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच की मांग दोहराते हुए एंटनी ने कहा कि अगर सस्ते में सौदा हुआ है तो 126 की जगह सरकार ने केवल 36 विमान ही क्यों खरीदे?
वहीं कांग्रेस के इस आरोप पर पलटवार करते हुए निर्मला सीतारमण ने सारे आरोपों को गलत करार दिया और कहा कि संसद को विमानों की कीमतों और डील के बारे में पहले भी जानकारी थी। सीतारमण ने कहा कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार पिछली यूपीए सरकार के समय किए गए करार में तय कीमत के मुकाबले नौ फीसदी कम कीमत पर राफेल विमान हासिल कर रही है।