देहरादून: प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय देहरादून में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि प्रवासी उत्तराखण्डियों को वापस लाने की प्रक्रिया सरकार ने प्रारम्भ कर दी है। सरकारी आंकडों के हिसाब से यह संख्या बहुत अधिक है। ऐसे में उन सभी की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान को दिया जाना अनुचित निर्णय एवं असंभव है। प्रवासियों के रहन-सहन, खान-पान एवं उनको कारेन्टाईन करना ग्राम प्रधान के बस की बात नहीं है। अच्छा होता यदि राज्य सरकार प्रवासियों की स्वास्थ्य जांच एवं कारेन्टाईन की व्यवस्था बेस कैम्प में करती तथा संख्या बढ़ने की हालत में जिला या ब्लाक स्तर पर करने का काम करती। सिर्फ प्रधानों के भरोसे पूरी व्यवस्था सौंप देना हतप्रभ करने वाला निर्णय जान पड़ता है। प्रीतम सिंह ने कहा कि जिस तरह से रेल यात्रा को लेकर तीन दिन के अन्दर सरकार की ओर से तीन अलग-अलग तरह के बयान जारी किये गये हैं, जिसमें प्रमुख तौर पर नोडल अधिकारी शैलेश बगोली द्वारा 9 मई को बयान जारी करते हुए प्रवासियों की वापसी के लिए रेल गाडी की सुविधा से इन्कार किया था। वहीं दूसरी ओर सरकारी प्रवक्ता मदन कौशिक द्वारा 10 मई की रात्रि ही ट्रेन आने की बात कही गई। मुख्यमंत्री ने इसके इतर 11 एवं 12 मई को रेल सुविधा की बात की।
प्रीतम सिंह ने कहा कि हम अपेक्षा करते हैं कि सरकार विरोधाभाषी बयानबाजी करके असमंजस की स्थिति उत्पन्न न करे। प्रीतम सिंह ने यही भी कहा कि भारी तादाद मेंं प्रवासी उत्तराखण्डी वापस आ रहे हैं, ऐसे में जहां एक ओर बेरोजगारों की एक लम्बी कतार पहले से ही मौजूद है, ऐसे में राज्य सरकार इन प्रवासियों को किन क्षेत्रों में रोजगार देकर समायोजित करने वाली है। इसका ब्लू प्रिंट सरकार को बताना चाहिए। किसानों की दुर्दशा पर बोलते हुए प्रीतम सिंह ने कहा कि 2017 के चुनावों में किसानों के ऋण माफी का वादा भारतीय जनता पार्टी द्वारा किया गया था। आज जब अत्यधिक विकट एवं विषम परिस्थितियों से किसान जूझ रहा है, तथा भारी ओलावृष्टि से किसानों की फसले बरबाद हो चुकी है, तथा प्रदेश में पहले ही 13 किसान आत्म हत्या कर चुके हैं, ऐसे में राज्य सरकार को किसानों के प्रति संवेदनशील रवैया अपनाते हुए ऋण माफी की घोषणा करनी चाहिए तथा उनकी बरबाद हुए फसलों का मुआबजा देना चाहिए। प्रदेश के अन्दर कई जगह पर भाजपा के पदाधिकारियों द्वारा राशन में घटतोली, काला बाजारी एवं शराब तस्करी की घटनायें आ रही हैं जिसके कई उदाहरण प्रीतम सिंह ने पत्रकार वार्ता के दौरान रखे। उन्होंने कहा कि भाजपा बताये कि यह किसके संरक्षण में हो रहा है तथा दोषियों पर क्या कार्रवाई हो रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि जिन्हें कांग्रेस पार्टी के धरने में बैठने से दिक्कत थी, “जहां-जहां भाजपा विपक्ष में है वहां भाजपा के नेता किस तरह के कृत्य कर रहे हैं। क्या उत्तराखण्ड भाजपा इन तथ्यों से अनभिज्ञ है।” उन्होंने उदाहरण के तौर पर पश्चिम बंगाल में ममता सरकार के खिलाफ धरने पर बैठे भाजपा के प्रभारी महासचिव कैलाश विजय वर्गीय एवं केन्द्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियों का स्मरण भाजपा को कराया।
प्रीतम सिंह ने यह भी राज्य सरकार से पूछा कि उत्तर प्रदेश के विवादित विधायक को किस स्तर पर पास जारी किया गया और किसके इशारे पर रेड कारपेट ट्रीटमेंट दिया गया, उन अधिकारियों के कृत्य पर सरकार मौन क्यों है। तथा उन पर क्या कार्रवाई हो रही है। जबकि उत्तर प्रदेश सरकार लाॅक डाउन के नियमों को तोडने के आरोप में उस विधायक पर एफआईआर दर्ज एवं गिरफ्तार कर चुकी है। इस पूरे प्रकरण पर उत्तराखण्ड सरकार की चुप्पी अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।
प्रीतम सिंह ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का एक बयान आया है कि वापस लाये जा रहे 25 हजार उत्तराखण्डी प्रवासी संक्रमित हो सकते हैं तथा 5 हजार को अस्पताल में भर्ती करने की नौबत आ सकती है तथा 500 वैंटिलेटर की आवश्यकता पड़ सकती है। मुख्यमंत्री के इस बयान पर प्रीतम सिंह ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यदि सरकार को ऐसी कोई आशंका है, तो उसे स्वास्थ्य जांच में बढोत्तरी करनी होगी, सुरक्षात्मक कदम उठाने होंगे और अपने स्वास्थ्य महकमे में सुविधाओं को चाक-चैबन्द व सुदृढ करना होगा।
पत्रकार वार्ता में प्रदेश महामंत्री संगठन विजय सरस्वत, विशेष आमंत्रित सदस्य सुभाष चैधरी, उपाध्यक्ष सूर्यकान्त धस्माना, राजीव महर्षि, पूर्व मंत्री अजय सिंह, महानगर अध्यक्ष लालचन्द शर्मा, निवर्तमान प्रवक्ता गरिमा दसौनी, पूर्व विधायक राजकुमार, संदीप चमोली, भूपेन्द नेगी, सूर्यप्रताप राणा, कमरखान ताबी, अभिनन्दन शर्मा आदि उपस्थित थे।