देहरादून: उत्तराखंड सरकार जहाँ पर्यटन को बढ़ावा देने के बड़े-बड़े दावे कर रही है, वहीँ इसके विपरीत धरातल पर सरकार के इन दावों की पोल खुल रही है। ऐसा ही कुछ नजारा ‘सुरकंडा देवी’ में देखने को मिल रहा है। जहाँ मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव देखने को मिल रहा है। जिससे यहाँ आने वाले भक्तों को काफी परेशानियों का सामना करना पड रहा है। आलम यह है कि, यहाँ लोग रात के अँधेरे में जंगलों के बीच से गुजरने को मजबूर हैं।
पैदल मार्ग पर अव्यस्थाएं, रात के अंधेरे में बिजली के अभाव में मार्ग खतरनाक
दरअसल, टिहरी गढ़वाल जनपद में जौनुपर के सुरकुट पर्वत पर स्थित सुरकंडा देवी मंदिर की विशेष मान्यता है, जिसके चलते सालभर यहाँ भक्तों का तांता लगा रहता है। मंदिर तक पहुँचने के लिए चंबा-मसूरी रोड पर कद्दूखाल कस्बे से करीब डेढ़ किमी की पैदल चढ़ाई तय करनी पड़ती है। लेकिन इस पैदल मार्ग पर सुविधाओं का अभाव है। यहाँ तक कि मार्ग पर लाइट की भी व्यवस्था नहीं है। जिससे रात के अँधेरे में यहाँ लोगों को विशेष रूप से बुजुर्ग, महिलाओं और बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पैदल मार्ग पूरी तरह से ढलान होने के कारण यह अँधेरे में और भी खतरनाक साबित हो सकता है। साथ ही जंगल के बीच से गुजरने के कारण जंगली जानवरों का भी भय बना रहता है।
2012 में रोपवे टेंडर हुआ आवंटित, अभी तक हुआ मात्र 30 प्रतिशत कार्य
वहीँ मंदिर तक पहुंचने के लिए पूर्व में सरकार द्वारा रोपवे बनाने की पहल की गई। इसके लिए 2012 में टेंडर आवंटित हुआ, लेकिन आज इतने साल बीत जाने के बाद भी इसके बस कुछ पीलर ही खड़े हो पाए हैं।
डीएम को नहीं मामले की जानकारी, यूपीसीएल लेगा संज्ञान
वहीँ मामले में हैलो उत्तराखंड न्यूज़ से बातचीत में टिहरी जिलाधिकारी ने इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होना बताया तो यूपीसीएल एमडी ने मामले को देखने की बात कही। वहीँ सीएम सलाहकार ने मामले को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाने और मार्ग पर लाइट लगाने की बात कही।
मंदिर का धार्मिक व प्राकृतिक रूप से है विशेष महत्व
ज्ञात हो कि, सुरकंडा देवी मंदिर 51 शक्ति पीठ में से है। सुरकंडा देवी मंदिर में देवी काली की प्रतिमा स्थापित है। सुरकंडा देवी के मंदिर का उल्लेख केदारखंड और स्कन्दपुराण में भी मिलता है। मंदिर परिसर से बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमनोत्री यानि चारों धामों की पहाड़ियां नजर आती हैं। मां सुरकंडा देवी को समर्पित मंदिर के अतिरिक्त भगवान शिव एवं हनुमान को समर्पित मंदिर की स्थापना भी इसी मंदिर परिसर में हुई।
पर्यटक स्थलों के विकास को लेकर सरकार पर सवाल
बहरहाल ऐसे में अब सवाल उठता है कि, क्या वाकई सरकार पर्यटन को लेकर गंभीर है या फिर घोषणाओं और भाषणों में ही पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है।