रुद्रप्रयाग: नदियों का जलस्तर कम होने के बाद अब प्रशासन के सामने नदी तटों पर बने घाटों की सफाई करवाना बडी समस्या बन चुकी है। रुद्रप्रयाग नगर क्षेत्र में नमामि गंगे परियोजना के तहत पांच घाटों का निर्माण किया गया है। वर्षाकाल में नदियों के उफान पर होने के कारण सारे घाट रेत-बालू व लकडियों से पट गये हैं, ऐसे में अब जल स्तर कम होने के साथ ही प्रशासन के सामने इनकी सफाई की बडी मुश्किलें खडी हो गयी हैं।
परियोजना के नियमों के अनुसार, घाटों का निर्माण तो किया जाना था, लेकिन इनके रख-रखाव का पूरा जिम्मा प्रशासन के पास था। प्रशासन के पास भी ऐसा कोई मद नहीं है जिसके जरिये इन घाटों की सफाई करवाई जाय। रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन अब इस समस्या से निपटने के लिए आॅक्सन प्रक्रिया को लागू कर रहा है। इसके लिए सिंचाई विभाग को कार्यदायी संस्था के तौर पर नामित किया गया है। अब इन घाटों से रेत बालू व लकडी को हटाने के लिए बोली लगाई जायेंगी और जो बोलीदाता सबसे उंची बोली लगायेगा उसे निर्धारित समय के लिए रेत बालू हटाने का टेण्डर दिया जायेगा।
बडी बात यह है कि, जिस दौरान यहां घाटों का निर्माण कार्य चल रहा था उस दौरान अगर स्थानीय भौगोलिक परिस्थियों को ध्यान में रखा जाता और वर्षाकाल में नदियों के जल स्तर की समीक्षा की जाती, तो सम्भवतः यह स्थिति नहीं आती और जल स्तर कम होने के बाद घाट अपने पुराने स्वरुप पर आ जाते। मगर इन बातों को नजरअंदाज किया गया और उसी का नतीजा है कि अब हर वर्ष लाखों का नुकसान प्रशासन को झेलना पडेगा और रेत बालू हटाने के लिए हर वर्ष टेण्डर प्रक्रिया करनी पडेगी।