नैनीताल: हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से आईसीएसई विद्यालयों को छोड़ अन्य सभी विद्यालयों में एनसीईआरटी की किताबों को लागू कराने संबंधित आदेश को सही मानते हुए सरकार को फिलहाल राहत दी है। कोर्ट ने 15 फरवरी, 6 मार्च व 9 मार्च को जारी शासनादेशो पर रोक लगा दी है। इन शासनादेशो में निजी व सरकारी स्कूलो में निजी प्रकाशकों की किताबें लागू करने पर कठोर कार्यवाही करने का जिक्र था। साथ ही कोर्ट ने निजी स्कूलो व प्रकाशकों को आदेशित किया है कि, यदि वे अपनी किताबें लागू करना चाहते हैं, तो उन्हें किताबो की सूची व रेट लिस्ट राज्य सरकार व एनसीईआरटी को देनी होगी और इन किताबों का मूल्य एनसीईआरटी के किताबों के समक्ष होगी।
संयुक्त विद्यालय प्रंबधन समिति ऊधम सिंह नगर, निशा एजूकेशन, नॉलेज वर्ल्ड, प्रिंसिपल्स प्रोग्रेशिव स्कूल एशोसिएशन, ऊधम सिंह नगर एशोसिएशन ऑफ इंडिपेंडेंट स्कूल, जसवंत एजुकेशनल ट्रस्ट, प्रावेट स्कूल एशोसिएशन एंड चिल्ड्रन एशोसिएशन व अन्य ने हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएँ दायर कर कहा था कि, सरकार ने 23 अगस्त 2017 को एक शासनादेश जारी कर उत्तराखंड में आईसीएससी विधालयो को छोड़कर समस्त राजकीय/सहायता प्राप्त विधालयो/मान्यता प्राप्त अशासकीय विधालयो और अंग्रेजी माध्यम से चलने वाले विधालयो में एनसीईआरटी की ही किताबें चलने का शासनादेश जारी किया था और निजी प्रकाशक की किताबो के चलने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया था। शासनादेश को लागू करने का मुख्य कारण यह था कि निजी विधालयो में निजी प्रकाशक की ही किताबे महंगे दामो पर बेची जाती हैं और अभिभावको पर अतरिक्त व्यय भार पड़ता है तथा शिक्षा का व्यवसायीकरण को रोकना है यदि किसी स्कूल या दुकान में निजी प्रकाशक की किताबे बेचीं या लागू की जाती है तो उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाय। यदि किसी विषय के लिए निजी प्रकाशक की किताब नितांत आवशयक है तो उसका मूल्य एनसीईआरटी की दरों पर उपलब्ध की जाय। इन स्कूलो में निजी प्रकाशको की किताबे चलाने को लेकर उन्होंने इस शासनादेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की एकलपीठ ने निजी स्कूलो व प्रकाशको को आदेशित किया है कि यदि वे अपनी किताबें लागू करना चाहते है तो उन्हें किताबो की सूची व रेट लिस्ट राज्य सरकार व एनसीईआरटी को देनी होगी और इन किताबों का मूल्य एनसीईआरटी के किताबों के समक्ष होगी। मामले की अगली सुनवाई 3 मई की तिथि नियत की है।