देहरादून: उत्तराखंड के कद्दावर राजनेता वित्तमंत्री प्रकाश पंत का बुधवार शाम अमेरिका में निधन हो गया। प्रकाश पंत अमेरिका में फेफड़े की बीमारी का इलाज करा रहे थे और बुधवार शाम उन्होंने अंतिम सांस ली। उत्तराखंड की राजनीति में प्रमुख स्थान रखने वाले प्रकाश पंत की राजनीति की शुरुआत नगरपालिका के सभासद से हुई थी। भारतीय जनता युवा मोर्चा, भाजपा के विभिन्न पदों पर रहे पंत का भाग्योदय वर्ष 1998 में हुआ, जब वह यूपी में विधान परिषद के सदस्य चुने गए।
राज्य बनने के बाद अंतरिम सरकार के गठन के समय विधानसभा अध्यक्ष बनाए गए। फिर उन्होंने मुड़कर पीछे नहीं देखा। 11 नवंबर 1960 को मूल रूप से गंगोलीहाट के चोढियार गांव निवासी मोहन चंद्र पंत, माता कमला पंत के घर में जन्मे पंत की शिक्षा-दीक्षा पिथौरागढ़ में हुई। उन्होंने पिथौरागढ़ के मिशन इंटर कॉलेज से वर्ष 1975 में हाईस्कूल और वर्ष 1977 में इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की। वर्ष 1977 में ही राजकीय महाविद्यालय में बीए में पढ़ाई के दौरान सैन्य विज्ञान परिषद में महासचिव रहे।
वर्ष 1980 में द्वाराहाट के राजकीय पॉलीटेक्निक कॉलेज से फार्मेसी में डिप्लोमा किया। स्वास्थ्य विभाग में बतौर फार्मेसिस्ट तैनात हो गए। वर्ष 1984 में उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। इनका रुझान शुरुआत से राजनीति की ओर था। शुरुआत में कुछ समय कम्युनिस्ट पार्टी में भी रहे। वर्ष 1984 में ही भाजपा से जुड़ गए।
वर्ष 1985 में भाजपा के जिला महामंत्री का दायित्व संभाला। वर्ष 1989 में पिथौरागढ़ नगरपालिका के सभासद चुने गए। वर्ष 1990 में भाजयुमो के जिलाध्यक्ष रहे। राम मंदिर आंदोलन में भी इनकी सक्रियता रही। पंत पर पार्टी ने वर्ष 1998 में बड़ा भरोसा कर कुमाऊं की स्थानीय निकाय सीट से विधान परिषद का उम्मीदवार बना दिया। युवा पंत ने पार्टी के भरोसे पर खरा उतरते हुए रिकार्ड मतों से विधान परिषद का चुनाव जीता। दो साल बाद वर्ष 2000 का राज्य का गठन हुआ। विधायी कार्य के जानकार पंत को भाजपा नेतृत्व ने अंतरिम सरकार में विधानसभा अध्यक्ष की अहम जानकारी दी। पंत ने विधानसभा अध्यक्ष का दायित्व बखूबी निभाया। वर्ष 2002 में राज्य विधानसभा के पहले चुनाव हुए थे। पार्टी ने उन पर भरोसा जताते हुए पिथौरागढ़ की प्रतिष्ठित सीट से टिकट दिया। पंत ने कांग्रेस के दिग्गज मयूख महर, यूकेडी के रवींद्र सिंह बिष्ट और किरन मालदार को पराजित कर विधानसभा की दहलीज पर कदम रखा। कांग्रेस की सरकार में पंत विधानसभा में मुखर रहे। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर जीत हासिल कर पंत राज्य कैबिनेट में मंत्री बने।
वर्ष 2012 का विधानसभा का चुनाव हारने वाले पंत ने राजनीतिक सक्रियता बनाए रखी। वर्ष 2017 के चुनाव में एक बार फिर पिथौरागढ़ की जनता ने भरोसा जताया। उनके पास अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी थी। पंत के यकायक और असमय दुनिया से चले जाने से पिथौरागढ़ ही क्या राज्य को गहरी क्षति हुई है।