बागेश्वर: जिला विकास प्राधिकरण के नियमों को लेकर जनता में भारी आक्रोश है। प्राधिकरण को काला कानून बताते हुए इसके विरोध में आज नगर के व्यपारियों ने अपनी दुकानें बंद रखी। साथ ही जिला प्राधिकरण हटाओ मोर्चा ने जनसभा आयोजित की। जिसमें उन्होंने प्राधिकरण के चलते दो लोगों की आत्महत्या के लिए जिला विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष जिलाधिकारी और सचिव अपर जिलाधिकारी को दोषी बताते हुए उनके निलंबन की मांग की। साथ ही विरोध में उनका पुतला जलाया गया।
जिला प्राधिकरण हटाओ मोर्चा के आह्वान पर नगर के सभी व्यपारियों ने बंद को पूर्ण समर्थन देते हुए अपनी दुकानें बंद रखी। वहीं पूरे नगर में प्राधिकरण के विरोध में झुलूस निकाला गया। जिसमें राज्य सरकार व जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की गई। नुकड़ सभा के माध्यम से आम जनता को प्राधिकरण जैसे काले कानून के लिए जागरूक किया गया। जिसके बाद चौक बाजार में सभा आयोजित की गई। जिसमें वक्ताओं ने प्राधिकरण के खिलाफ विरोध जताते हुए अपनी बात रखी।
अध्यक्ष प्रमोद मेहता ने बताया कि प्राधिकरण सिर्फ आम जनता पर ही लागू हो रहा है। जनप्रतिनिधियों को आम जनता की परेशानियों से कोई सरोकार नहीं है। राज्य सरकार द्वारा प्राधिकरण जैसा कला कानून पर्वतीय क्षेत्र की भगौलिक परिस्थितयों को बगैर जाने ही आम जनता पर जबरन लागू कर दिया गया है।
इसके विपरीत सरकारी भवन निर्माण कार्य प्राधिकरण के मानकों को दरकिनार कर धड़ल्ले से चल रहे हैं। इस ओर जिला प्राधिकरण आंख मूंदे बैठी है। प्रशासन के तानाशाही पूर्ण रवैये के चलते आम जनता इस काले कानून के खिलाफ आवाज बुलंद करने को मजबूर है। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण के नियमों के बोझ तले दब कर दो लोगों को आत्महत्या करने को मजबूर होना पड़ा। जिसके लिए उन्होंने जिला विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष जिलाधिकारी व सचिव अपर जिलाधिकारी को दोषी बताते हुए उनके निलंबन की मांग की है। विरोध में उपाध्यक्ष व सचिव का पुतला फूंका गया। और कहा कहा कि 8 सितम्बर को जिला प्राधिकरण हटाओ मोर्चा बैठक कर आगे की रणनीति तैयार करेगा।