नैनीताल: उत्तराखंड में मई 2018 से टलते आ रहें नगरनिगम और निकायों के चुनाव शीघ्र होने का रस्ता साफ हो गया है। सरकार की ओर से दायर स्पेशल अपील पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने उत्तराखंड चुनाव आयोग को निर्देश दिए हैं कि प्रदेश में निकाय चुनाव की प्रक्रिया एक सप्ताह के भीतर शुरू की जाए। कोर्ट ने सरकार को भी आदेश दिए हैं कि वे बाजपुर और श्रीनगर पालिकाओं के संबंध में 15 अक्टूबर से पूर्व लंबित औपचारिकताएं पूरी कर आरक्षण की स्थिति स्पष्ट करे जिससे कि चुनाव आयोग एक सप्ताह के भीतर इनमें भी चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर सके।
कोर्ट ने पूर्व में एकलपीठ के 28 मई 2018 को दिए गए आदेश के खिलाफ दायर स्पेशल अपील पर यह निर्णय दिया जिसमें एकलपीठ ने प्रदेश की 41 पालिकाओं के आरक्षण फिर से निर्धारित करने के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने इसी के साथ एक अन्य निर्णय में यह स्पष्ट किया कि प्रदेश के नगरनिगमों में आरक्षण के संबंध में कोर्ट की ओर से 25 मई 2018 को दिया गया फैसला केवल रूडकी नगरनिगम के लिए था। इस संबंध में महाधिवक्ता ने कोर्ट को अवगत कराया कि रूडकी सहित उत्तराखंड की सभी नगरनिगमों में आरक्षण की स्थिति 15 अक्टूबर से पूर्व स्पष्ट कर दी जाएगी। महाधिवक्ता ने उसके तुरंत बाद संविधान के प्रावधान के अनुरूप निगमों का कार्यकाल समाप्त होने से पूर्व निगमों में चुनाव कराए जाने की अनुमति मांगी थी। जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश राजीव शर्मा एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। बता दें कि पूर्व में किच्छा नगरपालिका के आरक्षण, बाजपुर, श्रीनगर, भतरोजखान व सेलाकुई पालिकाओं के परिसीमन तथा रूडकी नगरनिगम के परिसीमन को लेकर कोर्ट में विभिन्न याचिकाएं दायर की गई थी। जिनमें किच्छा में अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या कम होने के बावजूद इसे इस वर्ग के लिए आरक्षित कर दिये जाने तथा अन्य मामलों में बगैर परिसीमन के ही आरक्षण निर्धारित किए जाने को चुनौती दी गई थी। जिस पर एकलपीठ ने परिसीमन कराने तथा सभी 41 नगरनिकायों में आरक्षण को पुनः निर्धारित करने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद चुनाव लंबे समय तक लटक गए थे।