देहरादून: प्रकृति से जुड़ा सामाजिक, सांस्कृतिक, एवं लोक-पारंपरिक त्योहार ‘फूल देई’ के संरक्षण और संबर्धन में रंगोली आन्दोलन की एक मुहीम के तहत बीते 2008 से लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। इस क्रम में हर वर्ष रंगोली आंदोलन एक रचनात्मक मुहीम के संस्थापक समाजसेवी शशि भूषण मैठाणी पारस द्वारा उत्तराखंड की अस्थाई राजधानी देहरादून में महामहीम राज्यपाल व मुख्यमंत्री के द्वार से हर वर्ष फूलदेई पर्व को मनाने की जोरदार रचनात्मक की शुरुआत की है। उनकी इस शुरूवात की विभिन्न संगठनों द्वारा प्रशंसा भी की गई है।
समाजसेवी शशि भूषण मैठाणी पारस का कहना है कि 6 साल पहले उन्होंने राज्यपाल और मुख्यमंत्री के द्वार से फूलदेई पर्व को एकदम परम्परागत तरीके से मनाने का शुभारंभ शुरू किया था। उसके बाद आम लोगों के घर-घर बच्चों की टोली को वह साथ लेकर गए। इस दौरान शुरू- शुरू में लोगों समझ नहीं आया लेकिन अब हर साल कई स्कूल उन्हें पहले ही आग्रह कर लेते हैं कि इस बार उनके स्कूल को भी इस अभियान में शामिल किया जाय। और आज 22 से ज्यादा स्कूलों के बच्चों की टोली फूलदेई के पर्व को मनाने लगे हैं। उन्होंने बताया कि अब मुझे इस अभियान में सरकार का सहयोग जरूरी है। सबसे पहले तो राज्य सरकार उक्त दिवस पर संस्कृति पर्व को मनाने के लिए स्कूलों में ननिहालों के लिए अवकाश की घोषणा करें। जिससे एक साथ इस बाल पर्व के प्रति बच्चों में उत्सुकता पैदा होगी और हासिए पर गए फूलदेई का पर्व पुनः एक नए उत्साह के साथ बृहद स्तर पर मनाया जाने लगेगा।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने लिया संज्ञान
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने शशि भूषण की मांग फूलदेई पर्व पर स्कूलों में अवकाश घोषित करने के सम्बंध में आवश्यक कार्रवाई हेतु सामान्य प्रशासन विभाग उत्तराखंड शासन को पत्र भेजा है और उक्त संदर्भित सूचना रंगोली आंदोलन के संस्थापक शशि भूषण मैठाणी को भी पत्र के मार्फ़त भेजी है। वहीं शशि भूषण मैठाणी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि मुझे उम्मीद है कि अब हमारी मुहिम रंग लाने लगी है, और आने वाले दिनों में बच्चे बढ़-चढ़कर उत्साहपूर्वक फूलदेई पर्व को मनाने लगेंगे जिसकी ख्याति देश विदेश तक फैलेगी।