-अरुण कश्यप
हरिद्वार: श्यामपुर थाना क्षेत्र में वन सीमा से लगा हुआ एक गांव है नौरंगाबाद, जो गैंडीखाता ग्राम पंचायत का ही एक गांव है। यहाँ के ग्रामीण पिछले 6 वर्षों से नरकीय जीवन जीने को विवश हैं। जिसका कारण है एक-एक कर बनाये गए चार विशाल पोल्ट्री फार्म। यह पोल्ट्री फार्म दिन-रात कई तरह से आसपास के पूरे वातावरण को इतना दूषित कर रहे हैं, कि कई बार तो यहां सांस तक ले पाना मुश्किल हो जाता है। क्योंकि हवा में भयंकर दुर्गंध भी घुली होती है, हालांकि ग्रामीण इन पोल्ट्री फार्म को हटवाने के लिए कई बार विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं, लेकिन ऊंची राजनीतिक पहुंच रखने वाले इन पोल्ट्री फार्म के मालिक के सामने ग्रामीणों का विरोध हमेशा बौना साबित हुआ है।
यहां तक कि प्रशासनिक अधिकारियों ने भी ग्रामीणों की इस भयंकर पीड़ा को अनसुना कर दिया। ग्रामीण बताते हैं कि इन पोल्ट्री फार्म का मालिक बड़े राजनीतिक संबंध रखता है तथा मुख्यमंत्री के बेहद करीबी है। क्योंकि वह उस विधानसभा का प्रभावशाली व्यक्ति है जिस विधानसभा से खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत विधायक हैं जिस कारण प्रशासन भी हाथ पीछे खींच रहा है।
उसके प्रभाव को देखते हुए कई लोग ऐसे हैं जो खुलकर इन पोल्ट्री फार्म का विरोध भी नहीं कर पाते, क्योंकि उन्हें खतरा महसूस होता है, कि कहीं उनके साथ कोई अनहोनी ना हो जाए। नाम न छापने की शर्त पर पास में ही निवास करने वाले एक ग्रामीण परिवार ने बताया कि, जब से यह पोल्ट्री फार्म यहॉ लगे हैं तब से हमारे रिश्तेदारों ने भी हमारे घर आना बंद कर दिया है क्योंकि यहां इतनी दुर्गंध फैली रहती है कि उनसे खाना भी नही खाया जाता। अब हमे तो इस दुर्गंध की आदत सी हो गई है लेकिन जब इस ओर की हवा चलती है तो उल्टियां तक आ जाती हैं। गंदगी में पनपे मक्खी मच्छरों ने तो जैसे पूरे क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है। इनकी संख्या यहां इतनी ज्यादा हो गई है कि हर रोज हमारे खाने में 5 -7 मक्खियां गिरना तय है। हर वक्त मधुमक्खियों की तरह मक्खियां-मच्छर भिनभिनाते रहते हैं, जिससे हर दिन तिल-तिल कर जीना पड़ रहा है। पास ही निवास करने वाले ग्रामीण विनोद सैनी ने बताया कि यह लोग पोल्ट्री फॉर्म से निकली गंदगी को सीधे जंगली नाले में छोड़ देते हैं। यह नाला गांव से गुजरता हुआ जंगलों में जाता है। इस नाले के पानी को पीने से हमारे कई पशुओं की मौत हो चुकी है। इसी नाले का पानी भी जंगली जानवर पी कर अपनी प्यास बुझाते हैं, तो जाहिर सी बात है उन्हें भी कई तरह की बीमारियां हो रही होंगी मेरे खुद के दो पशु इस नाले के पानी को पीने से मर चुके हैं और कई बीमार हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि, खुद सीएमओ को हम कई बार लिखित में शिकायत कर चुके हैं, लेकिन आज तक हमारी समस्या का समाधान नहीं हुआ। उसके पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि इस पोल्ट्री फॉर्म का मालिक सरकार का बड़ा करीबी माना जाता है। जिसके चलते डीएम से लेकर सीएम तक सब चुपचाप बैठे हैं। नाम ना छापने की शर्त पर गांव मे निवास करने वाले एक सरकारी शिक्षक ने बताया कि, हम लोग इसलिए दौहरी मार झेलनी पड रही है कि हम इन पॉल्ट्री फार्म का खुलकर विरोध भी नही कर सकते क्योंकि इसका मालिक हमारा अहित भी कर सकता है।
एक अन्य ग्रामीण कुदन सिंह ने बताया कि इस पॉल्ट्री फार्म के भीतर बीमारी के कारण मरे सभी मुर्गो को पास के जंगल क्षेत्र मे डाल दिया जाता है जिसे वहां मौजूद जंगली जानवर खा लेते हैं। जब हमारी टीम वहां पहुंची तो वहां नजारा देखकर बडा आश्चर्य हुआ जंगल के भीतर मुर्गो के दर्जनो शव फैले हुऐ थे कुछ शव आधे अधूरे भी थे। जिन्हें देखकर अंदाजा लगाया जा सकता था कि इन्हे किसी जंगली जानवरों ने खाया है। जब इस मुर्गो की मौत बीमारी के कारण हुई हो तो जंगली जानवरों मे भी इंहे खाकर बीमारी फैलना लाजिमी है पर इस ओर अब तक तो वन विभाग के अधिकारियों ने कोई ध्यान नही दिया केवल यही नही मुर्गो का प्रतिदिन निकलने वाला सैकड़ों किलो मल भी सीधा वन क्षेत्र में डाल दिया जाता है। जो वन क्षेत्र मे भी गंदगी फैलाता है यह चिडियापुर वन रेंज का क्षेत्र है यह रेंज भी वन्य जीवों की विभिन्न प्रजातियो के कारण प्रसिद्ध हैं। ग्रामीण बताते है कि यदि हमे ये पता होता कि यहॉ पोल्ट्री फार्म बनाये जायेगे तो हम इन्हें यहाँ बनवाने ही ना देते।