रुद्रप्रयाग: देश के भाजपा समर्थित विधायकों, सांसदों व मंत्रियों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को फोन के जरिये सम्बोधित किया। साथ ही चार विधायकों से विकास कार्यों को लेकर अलग से चर्चा भी की। रुद्रप्रयाग विधायक भरत सिंह चौधरी का नाम भी पीएम से चर्चा में प्रस्तावित था लेकिन, समय का अभाव होने के चलते पीएम रुद्रप्रयाग विधायक से वार्ता नहीं कर पाये। इस दौरान पीएम ने कहा कि, 22 अप्रैल को वह विडियो कान्फ्रैन्सिंग के जरिये वार्ता करेंगे।
पीएम ने अपने सम्बोधन में सभी भाजपाई विधायकों व सांसदों को देश की उन्नति, किसानों की आय दोगुनी करने और दलित, पिछडे व वंचित समाज को विकास की मुख्य धारा से जोडने के लिए जनप्रतिनिधियों का आव्हान किया। पीएम ने कहा कि, लोकतंत्र की हत्या करने वाले चुनिंदा लोगों को बख्शा नहीं जायेगा और लोकतंत्र बचाने के लिए यदि उन्हें भी अनशन पर बैठना पडे तो वो बैठेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि, 12 अप्रैल को पूरे देश के भाजपाई विधायक, सांसद व मंत्री अपने-अपने क्षेत्रों में एक दिवसीय उपवास पर बैठेंगे और स्वयं पीएम भी कल लोकतंत्र की हत्या करने वाले चुनिंदा लोगों के खिलाफ उपवास करेंगे। उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों का आहवान किया कि, जिस तरह से चुनावों के दौरान प्रचार-प्रसार में सभी नेता जुट जाते हैं, उसी भांति लोक कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए एक बृहद आन्दोलन तैयार करें, जिससे देश की प्रगति हो सके। आपको बता दें कि, पीएम का भगवान केदारनाथ के प्रति विशेष लगाव है और यही कारण है कि बतौर पीएम मोदी केदारनाथ के अभी तक दो दौरे कर चुके हैं और शीघ्र ही तीसरा दौरा भी प्रस्तावित है। केदारनाथ आपदा पुननिर्माण को लेकर पीएम द्वारा केदारपुरी में पांच बडी परियोजनाओं का शिलान्यास किया गया है और लगातार पीएम उन परियोजनाओं की प्रगति को लेकर विडियो कान्फ्रैन्सिंग व लाइव समीक्षा भी कर चुके हैं। यही कारण है कि पीएम से वार्ता करने के क्रम में रुद्रप्रयाग विधायक को भी सम्मिलित किया गया था, जिनसे कि जिले के हालातों व केदारनाथ में हो रहे पुनर्निर्माण कार्यों की प्रगति पीएम द्वारा ली जानी थी।
वहीँ कायदे से देखा जाए तो केदारनाथ मामले में पीएम को ज्यादा बेहतर जानकारी स्थानीय विधायक दे सकते थे, लेकिन इसमें भी कहीं-न-कहीं राजनीती की प्रभाव भी जरुर रहा, क्योंकि केदारनाथ विधायक कांग्रेस पार्टी से आते हैं।