देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शुक्रवार को जीएमएस रोड देहरादून स्थित वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के स्थापना दिवस तथा स्वर्ण जयन्ती समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। संस्थान को स्वर्ण जयन्ती दिवस की बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह गौरव की बात है कि वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान जैसे संस्थान उत्तराखण्ड में स्थित है। यह संस्थान हमारे समर्पित व प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों की साधना का स्तंभ है। संस्थान हिमालय पर 50 वर्ष से अनुसंधान कार्य कर रहा है। हिमालय पर अनुसंधान व अध्ययन की व्यापक संभावनाएं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय व पर्यावरण संरक्षण की चिन्ता हम सभी का सम्मिलित उत्तरदायित्व है। इस दिशा में राजनैतिक सोच व वैज्ञानिक सोच को मिलजुल कर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि प्रकृति के संरक्षण के साथ ही विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करना एक बड़ी चुनौती है। वहीं सीएम ने कहा कि आज रोजमर्रा के जीवन में प्लास्टिक हमारे जीवन का हिस्सा बन चुका है। साथ ही यह पर्यावरण के लिए एक बड़ी चुनौती भी बन चुका है। उन्होंने कहा कि पृथ्वी प्लास्टिक ग्रह में बदल रही है। पर्यावरण की हानि के बिना विकास कैसे किया जाए यह हमारे वैज्ञानिकों के समक्ष चुनौती है। सीएम ने कहा कि वैज्ञानिकों को सतत विकास व प्रकृति के सरंक्षण की दिशा में शोध करना है और समाज का मार्गदर्शन करना है। साथ ही सरकार द्वारा इस दिशा में वैज्ञानिकों को हर संभव सहायता दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड हिमालयी राज्य होने के साथ ही इसका अधिकांश भाग वनाच्छादित है। राज्य देश को ईको सर्विसेज (पर्यावरणीय सेवाएं) प्रदान कर रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा शीघ्र ही रिस्पना व कोसी नदियों के पुनर्जीवीकरण मिशन के तहत जनभागीदारी के साथ व्यापक वृक्षारोपण का अभियान आरम्भ किया जाएगा। इस दौरान समारोह में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के पद्यश्री पुरस्कार से सम्मानित पूर्व वैज्ञानिक डॉ. वी. एस. ठाकुर को सम्मानित किया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने संस्थान के शोध पत्रों के डिजिटल रूपान्तरण और वैज्ञानिक के. पी. जुयाल की पुस्तक का भी विमोचन किया।